आत्म अनुशासन सफलता की सबसे बड़ी कुंजी : हर गोविंद कुशवाहा
बुविवि के कला संकाय के विद्यार्थियों का अभिविन्यास कार्यक्रम शुरू
झांसी। उत्तर प्रदेश सरकार के राज्य मंत्री हरगोविंद कुशवाहा ने कहा कि सदैव अनुशासन में रहकर ही सफलता के चरम को छुआ जा सकता है। जीवन के हर क्षेत्र में आत्म अनुशासन सफलता की सबसे बड़ी कुंजी है।
वीरवार को बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के गांधी सभागार में आयोजित कला संकाय के नव प्रवेशित विद्यार्थियों के अभिविन्यास कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में जुटे विद्यार्थियों और शिक्षकों को संबोधित करते हुए श्री कुशवाहा ने संस्कृत के श्लोक काक चेष्टा, वको ध्यानम, श्वान निद्रा तथैव च स्वल्पाहारी गृह त्यागी विद्यार्थी पंच लक्षणम का उल्लेख कर विद्यार्थियों के गुणों को रेखांकित किया।
श्री कुशवाहा ने अपने विद्यार्थी जीवन को भी याद किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में बीयू का अलग महत्व है। उन्होंने विद्यार्थियों से पूरी निष्ठा और एकाग्रता से अध्ययन कर अपना जीवन संवारने का आह्वान किया। उन्होंने नालंदा विश्वविद्यालय का एक प्रसंग सुनाकर ज्ञान परीक्षण की प्रक्रिया का महत्व समझाया। उन्होंने उम्मीद जताई कि विद्यार्थियों में ज्ञान का प्रकाश होने पर अंधेरे खुद ब खुद दूर हो जाएंगे। उन्होंने गुरु के महत्व को भी समझाया। उन्होंने बुंदेलखंड और उसकी संस्कृति की विशिष्टता का भी उल्लेख किया। महाराज छत्रसाल की एक रचना पेश कर उन्होंने विद्यार्थियों का आह्वान किया कि सभी श्रेष्ठ और बुद्धिमान जनों का सदैव सम्मान करें।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कार्यवाहक कुलपति प्रो एसपी सिंह ने भी विद्यार्थियों को संबोधित किया। उन्होंने सभी विद्यार्थियों से विवि की सुविधाओं का लाभ उठाकर अपना जीवन निखारने का आह्वान किया।
शुरुआत में कला संकाय के अधिष्ठाता प्रो मुन्ना तिवारी ने एक से सात अगस्त तक चलने वाले अभिविन्यास कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने अभिविन्यास कार्यक्रम के महत्व को भी रेखांकित किया। प्रो तिवारी ने सभी विद्यार्थियों से अभिविन्यास कार्यक्रम में शत प्रतिशत उपस्थिति दर्ज कराने का आह्वान किया। उन्होंने बताया कि प्रथम दिवस अभ्युदय, द्वितीय दिवस अनुभूति, तृतीय दिवस अंतर्दृष्टि, चतुर्थ दिवस अनुगूंज, पंचम दिवस अनुष्ठान, षष्ठम दिवस अंतरावलोकन, सप्तम दिवस समापवर्तन के रूप में आयोजित किया जाएगा।
प्रो वीबी त्रिपाठी ने श्लोकोच्चारण और स्वस्ति वाचन के साथ इस सत्र का शुभारंभ कराया। उन्होंने भारतीय संस्कृति और ज्ञान के महत्व को रेखांकित किया।
संपत्ति अधिकारी डा डीके भट्ट ने सभी नए विद्यार्थियों से अपना कैरियर संवारने का आह्वान किया। मुख्य कुलानुशासक डा आर के सैनी ने विद्यार्थियों को प्राक्टोरियल बोर्ड के कार्य और उसकी भूमिका के बारे में जानकारी दी। उन्होंने विद्यार्थियों को किसी भी प्रकार की समस्या आने पर संपर्क करने की कोशिश की। उन्होंने सभी विद्यार्थियों से परिसर में अनुशासन बनाए रखने की अपील की। उन्होंने एंटी रैगिंग सप्ताह के बारे में भी जानकारी दी।
कार्यक्रम की शुरुआत में सभी अतिथियों ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलित किया।
अंत में कुलसचिव विनय कुमार सिंह ने सभी अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया।
इस कार्यक्रम में डा अचला पाण्डेय, डा श्रीहरि त्रिपाठी, डा नवीन पटेल, डा यतींद्र मिश्र, डा जय सिंह, डा कौशल त्रिपाठी, उमेश शुक्ल, डा सुनील त्रिवेदी, डा नेहा मिश्रा, डा उपेंद्र सिंह तोमर, डा राजीव बबेले, डा शैलेंद्र तिवारी, डा प्रेमलता, डा सुनीता वर्मा, डा शिप्रा वशिष्ठ, डा गुरदीप कौर त्रिपाठी, डा मनीषा जैन, डा स्वप्ना सक्सेना, डा राघवेन्द्र दीक्षित, डा अजय कुमार गुप्ता, केएल सोनकर, डा श्वेता पाण्डेय, डा सुनीता, दिलीप कुमार, संतोष कुमार, डा अंकिता, डा रानी शर्मा, डा ज्ञान अड़जरिया, डा पुनीत श्रीवास्तव, डा पूजा निरंजन, डा रूपेंद्र, डा द्युतिमालिनी डा दीप्ति, डा ज्योति गुप्ता, डा निधि श्रीवास्तव, डा विनोद कुमार,डा रश्मि जोशी समेत अनेक लोग उपस्थित रहे। सभी विभागों के समन्वयकों ने अपने विभाग और उसके शिक्षकों के बारे में विद्यार्थियों को जानकारी दी। कार्यक्रम का संचालन डा सुनील त्रिवेदी ने किया। शुरुआत में शिक्षकों ने सभी अतिथियों और नव प्रवेशित विद्यार्थियों का स्वागत किया। सभी अतिथियों को स्मृति चिह्न भेंटकर उनका स्वागत किया गया।