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अंबेडकर के पास कितनी डिग्री थीं, क्यो छोड़ा था हिन्दू धर्म?

नई दिल्ली 14 अप्रैलः देश की महान हस्ती और संविधान निर्माता भीमराव अंबेडकर की आज जयन्ती देश मे उत्साह के साथ मनायी जा रही है। सुरक्षा को लेकर अलर्ट है। हम आपको अंबेडकर के जीवन से जुड़े कुछ पहलू बता रहे हैं।

आर्थिक मुश्किलों के साथ ही उन्हें हिंदू धर्म की कुरीतियों को सामना भी करना पड़ा और उन्होंने इन कुरीतियों को दूर करने के लिए हमेशा प्रयास किए. उसके बाद अक्टूबर, 1956 में उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया जिसके कारण उनके साथ लाखों दलितों ने भी बौद्ध धर्म को अपना लिया. उनका मानना था कि मानव प्रजाति का लक्ष्य अपनी सोच में सतत सुधार लाना है.

डॉ. अंबेडकर की पहली शादी नौ साल की उम्र में रमाबाई से हुई. रमाबाई की मृत्यु के बाद उन्होंने ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखने वाली सविता से विवाह कर लिया. सविता ने भी इनके साथ ही बौद्ध धर्म अपना लिया था. अंबेडकर की दूसरी पत्नी सविता का निधन वर्ष 2003 में हुआ.
बीआर अंबेडकर को आजादी के बाद संविधान निर्माण के लिए 29 अगस्त, 1947 को संविधान की प्रारूप समिति का अध्यक्ष बनाया गया. फिर उनकी अध्यक्षता में दो वर्ष, 11 माह, 18 दिन के बाद संविधान बनकर तैयार हुआ. कहा जाता है कि वे नौ भाषाओं के जानकार थे. इन्हें देश-विदेश के कई विश्वविद्यालयों से पीएचडी की कई मानद उपाधियां मिली थीं. इनके पास कुल 32 डिग्रियां थीं. साल 1990 में, उन्हें भारत रत्न, भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से मरणोपरांत सम्मानित किया गया था

गृह मंत्रालय ने राज्यों को जारी की एडवाइजरी
गृह मंत्रालय राज्य सरकारों को पहले ही अंबेडकर जयंती पर किसी भी तरह की अप्रिय घटना से निपटने के लिए एहतियाती उपाय करने का निर्देश दे चुका है. मंत्रालय ने सभी संवेदनशील इलाकों की सुरक्षा निश्चित करने के साथ पुलिस-प्रशासन को कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए जरूरी कदम उठाने को कहा है.
संविधान निर्माता भीमराव अंबेडकर की जयंती पर जातीय हिंसा की आशंका से गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को सतर्क किया है. राज्य सरकारों को एडवाइजरी जारी करते हुए गृह मंत्रालय ने अंबेडकर की मूर्तियों की भी सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा है.

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