पृथ्वी का अवतार है गौमाता :महंत राधामोहन दास रिपोर्ट अनिल मौर्य

पृथ्वी का अवतार है गौमाता :महंत राधामोहन दास

झाँसी। सिविल लाइन ग्वालियर रोड स्थित कुंज बिहारी मंदिर में गद्दी पर आसीन रहे सभी गुरु आचार्यो की पुण्य स्मृति में आयोजित एक वर्षीय भक्तमाल कथा में कथा व्यास बुंदेलखण्ड धर्माचार्य महंत राधामोहन दास महाराज ने आठवें दिवस भगवान के चौबीस अवतारों के क्रम में भगवान परशुराम एवं मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के अवतार सहित श्रीराम के राज तिलक की कथा का विस्तार वर्णन किया। उन्होंने गौमाता को पृथ्वी का अवतार बताते हुए कहा कि गौमाता में सभी तेतीस कोटि देवता के साथ साथ सभी नदियां एवं देव बृक्षों का भी वास है। गौमाता की पूजा करने सभी देवताओं देव बृक्षों मां गंगा, यमुना, सरस्वती की पूजा हो जाती है, इसलिये हम सब को यथा शक्ति गौमाता का पूजन अर्चन और बंदन करना चाहिए। वे कहते है कि गौमाता की सेवा चार प्रकार की सेवायें सम्पन्न होंगी। एक पृथ्वी की सेवा,दूसरे भगवान की सेवा तीसरे साधु संतों की सेवा और चौथे भक्तों की सेवा होगी। जिनके पास गौपालन हेतु जगह की कमी है वे समय निकालकर गौशाला जायें और यथा शक्ति दान कर गौमाता की सेवा कर पुण्य लाभ अर्जित करें।मानस में बाबा तुलसी लिखते हैं”
जब जब होय धरम की हानि, बाढे असुर अधम अभिमानी।करहि अनीति जाई नहि बरनी,सीतहि विप्र, धेनु सुर तरहि। तब तब प्रभु धरि विविध शरीरा, हरहिं कृपा निधि सज्जन पीरा।। ”
अर्थात जब पथ्वी पर अधर्म बढने लगा तो पृथ्वी ने गौमाता का रुप धारण किया और भगवान से पृथ्वी पर बढ रहे अत्याचार खत्म करने हेतु विनय की। भगवान ने गौमाता को वरदान दिया कि वे शीघ्र ही प्रकट होकर पृथ्वी से अत्याचारियों का विनाश करेंगे। इस प्रकार भगवान ने त्रेतायुग में अयोध्या के राजा दशरथ के घर माता कौशिल्या की कोख से मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के रुप में अवतार लिया और राम भक्त विभीषण को छोड रावण के समूचे वंश सहित सभी राक्षसों का वध कर पृथ्वी पर राम राज्य की स्थापना की। इससे पूर्व उन्होंने भगवान परशुराम, वारह भगवान, नरसिंह अवतार आदि का प्रसंगों का विस्तार से वर्णन किया।
उन्होंने कहा कि राम राज्य में सभी सुखी थे। जब भगवान राम चौदह वर्ष के लिए वनवास गये तो अयोध्या में भरत समेत सभी ने त्याग और संयमित जीवन जिया परिणामस्वरूप भलत के राज्य में चौदह वर्ष तक न तो किसी की मृत्यु हुई और न ही किसी बच्चे का जन्म हुआ इस प्रकार भगवान के लौटने समूची अयोध्या का राज पाट पूरी समृद्ध और सम्पन्न हो गया।यही कारण है कि सभी लोग राम राज्य चाहते हैं किंतु वह तभी संभव है जब भरत जैसा त्यागी, तपस्वी और संयमी भाई हो। इस मौके पर भगवान की बारात और विवाह के प्रसंगों पर सुनाये गये सुंदर भजनों पर श्रोता खूब झूमे। हारमोनिया पर श्रीराम साहू, तबला पर कृष्णा अग्रवाल, समाज गायन में बाबा पवनदास एवं बाबा बालकदास ने संगत की।

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