New Delhi…
दिल्ली में इंडिया गठबंधन की प्रेस कॉन्फ्रेंस.
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने अविश्वास प्रस्ताव पर कहा कि भारत के उपराष्ट्रपति पद संवैधानिक पद है.
1952 से अब तक ‘किसी उपराष्ट्रपति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नहीं आया’, क्योंकि वो निष्पक्ष रहे, उन्होंने कभी राजनीति नहीं की.
खरगे ने कहा कि आज रूल्स छोड़कर राजनीति सदन में हो रही है. आज सदन में नियमों की अनदेखी हो रही है. सभापति का काम सदन चलाना होना चाहिए. सभापति राजनीति से परे होते हैं. सभापति किसी एक पार्टी के नहीं होते है. सभापति को निष्पक्ष होना चाहिए. पर विपक्षी दलों से पक्षपातपूर्ण रवैय्या हो रहा है. सभापति सरकार के प्रवक्ता बन गए है.
राज्यसभा के सभापति के खिलाफ INDIA गठबंधन द्वारा अविश्वास प्रस्ताव दिए जाने पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, “वे (राज्यसभा के सभापति) हेडमास्टर की तरह स्कूलिंग करते हैं. विपक्ष की ओर से जब भी नियमानुसार महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए जाते हैं – तो सभापति योजनाबद्ध तरीके से चर्चा नहीं होने देते. बार-बार विपक्षी नेताओं को बोलने से रोका जाता है. उनकी (राज्यसभा के सभापति की) निष्ठा संविधान और संवैधानिक परंपरा के बजाय सत्ता पक्ष के प्रति है. वे अपनी अगली पदोन्नति के लिए सरकार के प्रवक्ता के रूप में काम कर रहे हैं. मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि राज्यसभा में सबसे बड़ा व्यवधान सभापति खुद हैं.”…