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राजनैतिक वापसी मे कितने मजबूत हुये रवीन्द्र शुक्ल, रिपोर्ट-देवेन्द्र व रोहित

झांसीः बोल, वचन और कर्म प्रधान व्यक्तित्व वाले पूर्व केन्द्रीय मंत्री रवीन्द्र शुक्ल का आज जन्म दिन है। बुन्देली राजनीति मे कददावर नेता माने जाने वाले रवीन्द्र शुक्ल पिछले कुछ सालो मे पार्टी कार्यक्रमो तक सीमित से हो गये थे। कवि दिल की आवाज सुन भावनाओ को शब्दे देकर अभिव्यक्ति की शुरूआत की, तो समय कब सालो  की परिधि लांघ गया, पता ही नहीं चला। एक बार फिर रवीन्द्र शुक्ल जनता को समर्पित होने को तैयार हैं। हम आपको बताते है कि वापसी के पहले चरण मे वो कितने दमदार साबित हो रहे हैं।

बुन्देली राजनीति और रवीन्द्र शुक्ल से परिचित लोग अच्छी तरह जानते होगे कि माटी मे प्रवेश के बाद रवीन्द्र शुक्ल ने अपने दम पर कैसा मुकाम बनाया। लोकप्रियत विधायक होने का तमगा इसी बात से साबित होता है कि चार टर्म वो विधानसभा मे माटी का प्रतिनिधित्व करते रहे।

ऐतिहासिक निणर्य लेने के दौरान कुर्सी चली गयी, तो अफसोस नहीं रहा। उनके इस निणर्य से हजारो युवा रोजगार पा गये।

रवीन्द्र शुक्ल अपने आप मे अनूठा व्यक्तित्व है। वर्तमान हालातो  मे बुन्देली राजनीति मे रवीन्द्र के कद का नेता दूसरा नजर नहीं आता। इसका असर पिछले दिनो  देखने को भी मिला। मेयर के चुनाव मे जैसे ही यह हवा चली कि रवीन्द्र शुक्ल मैदान मे आ रहे हैं, तो कई राजनैतिक दल के संभावित प्रत्याशियो  ने मैदान छोड़ने तक की सोच ली थी।

अब रवीन्द्र शुक्ल दूसरी पारी मे पूरे जोश के साथ है। जनता से जुड़ाव और संगठन मे समन्वय की कला भली भांति जानते हैं। नयी पीढ़ी के साथ तालमेल और नये लोगो  को जोड़ते हुये पुरानो  का विश्वास बनाये रखने मे वो कोई कसर नहीं छोड़ रहे।

राजनैतिक गलियारे मे इस बात की चर्चा है कि रवीन्द्र शुक्ल आने वाले लोकसभा चुनाव मे ताल ठोक सकते हैं। इसके पीछे तर्क यह माना जा रहा है कि दीदी यानि उमा भारती के चुनाव ना लड़ने की स्थिति मे भाजपा मे दूसरा नेता कद के हिसाब से ज्यादा दमदार नजर नहीं आता।  रवीन्द्र के कद की अहमियत इससे समझिये। बीते रोज झांसी मे रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण आयी, तो वो एयरपोर्ट पर स्वागत करने पहुंचे।

रक्षामंत्री ने रवीन्द्रशुक्ल का ना केवल अभिवादन स्वीकार किया, बल्कि उनसे बात भी की। रवीन्द्र ने दूसरे नेताओ  का परिचय कराया। आज उनके जन्म दिन पर युवा टीम का जोश उन्हे नया संबल देने का काम कर रहा है।

यहां जानकार एक बात को लेकर चिंतित है कि भाजपा मे कद के साथ अंदरूनी उठापटक व्यक्तित्व पर भारी ना पड़ जाए!

 

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