झांसी की पवित्रभूमि पर कत्लखाना, किसी को शर्म नहीं आ रही?
झांसीः कलम, कला और कृपाण की धरती। वीर, ज्ञानी और बुद्विजीवी वर्ग से सरोबार झांसी की माटी मे जानवर धड़ाधड़ काटे जा रहे। धरती रक्तरंजित हो रही। कमाल है! अब किसी को शर्म नहीं आ रही? किसी को राष्टवाद नहीं दिख रहा? किसी का धर्म खतरे मे नहीं है? कहीं भी हिन्दूओ की आस्था पर…