कवियों ने अपनी रचनाओं से युवाओं में किया ऊर्जा का पुरजोर संचार
झांसी। राष्ट्रकवि मैथिली शरण गुप्त की जयंती पर बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के सभागार में आयोजित कवि सम्मेलन में रचनाकारों ने अपनी इंद्रधनुषी रचनाओं से विद्यार्थियों और युवाओं में ऊर्जा का पुरजोर संचार किया। पूरा हाल देर तक वाह, वाह के शोर से गूंजता रहा। इसी कार्यक्रम में पद्म श्री डा अवध किशोर जड़िया को मैथिली शरण गुप्त सम्मान से नवाजा गया।
बुविवि के हिंदी विभाग के तत्वावधान में आज आयोजित विशेष सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि मंडलायुक्त डा विमल दुबे, कुलपति प्रो मुकेश पाण्डेय आदि ने पद्म श्री डा अवध किशोर जड़िया को मैथिली शरण गुप्त सम्मान से नवाजा। डा जड़िया को श्रीफल,शाल, प्रशस्तिपत्र और नगद राशि देकर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर डा जड़िया ने कहा कि हिंदी साहित्य में बुंदेलखंड का योगदान अद्वितीय है। उन्होंने दद्दा के नाम पर स्थापित सम्मान मिलने को खुद के लिए गौरव का क्षण बताया। उन्होंने कहा कि हमारे पूज्य दद्दा जी भारत के हैं। वे भारती के हैं। वे खड़ी बोली के मंगलाचरण हैं। वे हमारे गौरव और गुमान हैं। वे हमारी पुलकन और सिहरन हैं। आशा के भाल पर तिलक के समान हैं।
मंडलायुक्त डा विमल दुबे ने कहा कि राष्ट्र कवि की रचनाओं ने समाज में राष्ट्र प्रेम, राष्ट्रीयता कर्मशीलता, नैतिकता और मानवीय मूल्यों की स्थापना की। उन्होंने अपनी रचनाओं से देश में स्वर्ग की स्थापना का संदेश दिया। राष्ट्र कवि ने अपनी रचनाओं से राजा और प्रजा के आदर्श मूल्यों को भी रेखांकित किया। तुलसीदास और सूरदास के बाद मैथिली शरण जी वो सबसे महान कवि थे जिन्होंने राष्ट्रीयता और मानवता के सुंदर मूल्यों को जन जन में भरा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो मुकेश पाण्डेय ने कहा कि उन्हें दद्दा की तीन जयंतियों को मनाने का अवसर मिला। यह उनके लिए गौरव की बात है। उन्होंने कहा कि शौर्य और वीरता की पर्याय रानी लक्ष्मीबाई झांसी की पहचान हैं। उन्होंने कहा कि दद्दा मैथिली शरण गुप्त ने अपनी रचनाओं से जो प्रतिमान स्थापित किए वे 138 साल बाद भी बेमिसाल हैं। वे अतुलनीय हैं। प्रो पाण्डेय ने कहा कि दद्दा ने अपने युग की समस्याओं पर फोकस कर युवाओं को उनके निराकरण के लिए प्रेरित किया। उन्होंने दद्दा की एक रचना नर हो न निराश करो मन को का उल्लेख भी किया। उन्होंने भारत की कल्पना एक मंदिर के रूप में की है। उन्होंने दद्दा की कुछ रचनाओं का उल्लेख भी किया। यही नहीं सुख या दुख जो भी आ पड़े सभी धैर्य रखें ऐसा संदेश श्री गुप्त जी ने दिया। उन्होंने डा जड़िया और अन्य अतिथियों का भी गर्मजोशी से स्वागत किया।
मंडलायुक्त डा विमल दुबे,रचना विमल और अतिथियों को भी स्मृति चिह्न और सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया।
मैथिली शरण गुप्त के प्रपौत्र वैभव गुप्त ने अपने बाबा की रचना से अपनी बात की शुरुआत की। उन्होंने डा अवध किशोर जड़िया जी के व्यक्तित्व और कृतित्व का ब्यौरा पेश किया। उन्होंने बताया कि राष्ट्रकवि मैथिलीशरण के नाम पर चिरगांव में एक संग्रहालय का निर्माण किया जाएगा। इसका भूमि पूजन इस साल दिसंबर में होगा। उन्होंने भारत भारती की कुछ पंक्तियां भी पेश कीं।
हिंदी विभागाध्यक्ष और कला संकाय के अधिष्ठाता प्रो मुन्ना तिवारी ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने राष्ट्रकवि मैथिली शरण गुप्त सम्मान के बारे में जानकारी दी।
शुरुआत में अतिथियों ने मां सरस्वती और राष्ट्र कवि मैथिलीशरण गुप्त के चित्रों पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्ज्वलित किया। बाद में सभी अतिथियों और कवियों का माल्यार्पण कर स्वागत किया गया।
बाद में कवि सम्मेलन में डा विष्णु सक्सेना, श्वेता सिंह, नीलोत्पल मृणाल, रचना विमल आदि ने अपनी रचनाओं से युवाओं की जमकर वाहवाही लूटी।
इस कार्यक्रम में प्रो एसपी सिंह, परीक्षा नियंत्रक राजबहादुर, राष्ट्र कवि मैथिलीशरण गुप्त महाविद्यालय, चिरगांव के प्रबंधक वैभव गुप्त, संपत्ति अधिकारी डा डीके भट्ट, प्रो पुनीत बिसारिया, डा बीवी त्रिपाठी, डा अचला पाण्डेय, डा श्रीहरि त्रिपाठी, डा नवीन पटेल, डा यतींद्र मिश्र, डा जय सिंह, डा कौशल त्रिपाठी, उमेश शुक्ल, डा राघवेन्द्र दीक्षित, डा अभिषेक कुमार, डा सुनील त्रिवेदी, डा नेहा मिश्रा, डा उपेंद्र सिंह तोमर, डा राजीव बबेले, डा शैलेंद्र तिवारी, डा प्रेमलता, डा सुनीता वर्मा, डा सुधा दीक्षित, डा शिप्रा वशिष्ठ, डा गुरदीप कौर त्रिपाठी, डा मनीषा जैन, डा स्वप्ना सक्सेना, डा अजय कुमार गुप्ता, केएल सोनकर, डा श्वेता पाण्डेय, डा सुनीता, दिलीप कुमार, संतोष कुमार, डा अंकिता, डा रानी शर्मा, डा ज्ञान अड़जरिया, डा पुनीत श्रीवास्तव, डा पूजा निरंजन, डा रूपेंद्र, डा द्युतिमालिनी, डा दीप्ति, डा ज्योति मिश्रा, डा ज्योति गुप्ता, डा निधि श्रीवास्तव, डा विनोद कुमार, डा रश्मि जोशी समेत अनेक लोग उपस्थित रहे।
कवि सम्मेलन का संचालन कवि अर्जुन सिंह चांद ने किया। अंत में कुलसचिव विनय कुमार सिंह ने सभी के प्रति आभार जताया।