RBI ने UPI यूजर्स को दी बड़ी राहत: अब मोबाइल से पलभर में भेजें “Rs 5” लाख तक रकम

RBI ने UPI यूजर्स को दी बड़ी राहत। अब मोबाइल से पलभर में भेजें “Rs 5” लाख तक रकम। यूपीआई को मिली और पावर
RBI ने हेल्थ केयर और एजुकेशन पेमेंट के लिए UPI ट्रांजेक्शन लिमिट 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 रुपये कर दिया है।

रायबरेली- संदिग्ध परिस्थितियों में युवक की मौत का मामला, दलित युवक की मौत के मामले ने पकड़ा तूल, पासी समाज के लोगों ने कोतवाली का किया घेराव, कोतवाली में पुलिस के विरोध में जमकर की नारेबाजी, आरोपियों पर हत्या का केस दर्ज करने की कर रहे मांग, ऊंचाहार कोतवाली परिसर में की जा रही नारेबाजी।

*कौशाम्बी जिले के अधिकांस किसानों को नहीं मिल रहा मृदा परीक्षण योजना का लाभ*

*कागज मे चल रही कृषि विभाग की तरफ से मृदा परीक्षण योजना*

*कौशाम्बी।**अच्छी और जल्द फसल तैयार करने के लिए कौशाम्बी के किसान अपने खेतों में रसायनिक खाद का अंधाधुंध प्रयोग कर रहे हैं जिसके कारण उनके खेतों की उर्वरक शक्ति में कमी आई है। किसान के खेतों की उर्वरक शक्ति की पहचान के लिए सरकार द्वारा मृदा परीक्षण योजना लागू की गई है। इस योजना के तहत कृषि विभाग के अधिकारी कर्मचारी किसान के खेतों में जाकर मिट्टी का नमूना लेकर परीक्षण करना होता है जांच बाद खेत में उचित पोषक तत्व डालने की सलाह कृषि विभाग के अधिकारी द्वारा कृषकों को देना होता है जिससे किसान के खेत की उर्वरक शक्ति में बढ़ोत्तरी हो सके।

कृषि विभाग के अधिकारी कर्मचारी कृषकों के खेत में न गए और ना ही खेत की मिट्टी का नमूना एकत्र किए फिर भी कागज पर मिट्टी परीक्षण का कार्य हो रहा है। कृषि विभाग के अधिकारी उत्तर प्रदेश सरकार के मंसूबे पर पानी फेरने के लिए कागजों पर मृदा परीक्षण कर योगी सरकार की महत्वकांछी योजना से लोगों को वंचित कर रहे हैं। कृषि विभाग के अधिकारी कर्मचारी की लापरवाही के चलते जिले अधिकांस कृषकों को सरकार द्वारा लागू की गई मृदा परीक्षण योजना की जानकारी ही नहीं है। मृदा परीक्षण का कार्य सिर्फ कागज तक सिमट कर रह गया है।अधिकारी कर्मचारी सिर्फ कागजी कोरम भरने में जुटे हुए हैं। जो भी जांचे हो रही वह पूरी तरह से फर्जी है।

5 दिसम्बर को विश्व मृदा दिवस’मनाया जाता है लेकिन कृषकों को यह भी नही पता है। किसानहित मे सरकार द्वारा संचालित की गई इस महत्वपूर्ण योजना से अधिकांस किसान अंजान हैं। इस योजना से संबंधित जागरूकता अभियान भी फाइलों तक ही सिमटकर रह गई। सरकार द्वारा चलाई गई पायलट प्रोजेक्ट योजना भी धरातल पर नहीं उतर पाई है। किसानहित में सरकार द्वारा लागू की गई अधिकांस योजनाएं कागजों पर तेजी से दौड़ रही है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और बयां कर रही है।

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