उपचुनाव के नतीजों ने भाजपा के चाणक्य की नीति को कैसे बदल दिया

नई दिल्ली 1 जून कल तक भाजपा के चाणक्य और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह किसी भी राज्य चुनाव को जीतने के लिए अपनी रणनीति को इतना ठोस मानते थे कि विपक्ष का कोई वार उसे तोड़ नहीं पाता था पिछले कुछ दिनों में उपचुनाव के जो नतीजे सामने आए हैं उसने चाणक्य को अपनी नीति में बदलाव करने के लिए मजबूर कर दिया है पहला बदलाव छत्तीसगढ़ के चुनाव में देखने को मिलेगा जहां भाजपा ने नई प्रकार की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है

दरसल भाजपा का असली मिशन उपचुनाव के नतीजे आने के बाद छत्तीसगढ़ का है । वैसे राजस्थान और मध्यप्रदेश में भी इसी साल चुनाव होने हैं । इन तीनों राज्यों में अपनी सत्ता को बचाए रखने के लिए भाजपा ने जिस रणनीति पर काम करना शुरू किया है उसमें वह सामाजिक संगठनों गणमान्य नागरिकों वरिष्ठ वकीलों से सलाह लेने का काम कर रही है इनसे  फीडबैक लिया जा रहा है ताकि उसके अनुसार रणनीति बनाई जा सके

यही नहीं छत्तीसगढ़ में रमन सरकार की विकास यात्रा में शामिल होने के लिए पार्टी अध्यक्ष अमित शाह अंबिकापुर जाएंगे वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 14 जून को भिलाई के दौरे पर जा रहे हैं वहां पर अनेक योजनाओं का शिलान्यास करेंगे

जानकार बता रहे हैं कि भाजपा के सामने संकट यह खड़ा हो गया कि उपचुनाव में जिस प्रकार से विपक्षी दलों ने अपनी रणनीति पर काम किया है उसने भाजपा की  परंपरागत राजनीति को तोड़ते हुए एक नए प्रकार की राजनीति को जन्म दिया है जो 20191 के चुनाव में घातक साबित हो सकती है ।भाजपा इस रणनीति से निपटने के लिए अपनी  रणनीति को अब आम आदमी और चिंतकों से जोड़ते हुए नए सिरे तक पहुंचाने का प्रयास करना चाहती है

भाजपा के सामने चुनौती यह है कि मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ और राजस्थान इन तीनों राज्यों में उसकी सत्ता है यदि उपचुनाव के नतीजों के आकलन को अगर सही माना जाए तो वहां स्थिति नाजुक नजर आती है। ऐसे हालातों में भाजपा की चाणक्य अब यह समझ रहे हैं कि विपक्ष के गठबंधन को हल्के में ना ले कर अपनी रणनीति को पुरजोर  तरीके से अंजाम तक पहुंचाया जाए

चाणक्य की नीति में बदलाव ने यह तो साबित कर दिया है कि 2019 के चुनाव में विपक्ष को कमजोर मानने  की चाणक्य भूल नहीं करेंगे

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