लहरों की सवारी करने में माहिर हैं झांसी के लोग
झांसी। लोकसभा क्षेत्र के लोग भी सियासी लहरों की सवारी करने में माहिर रहे हैं। सन 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां से भाजपा नेता उमा भारती सांसद चुनी गईं। भाजपा नेता उमा भारती ने यहां सपा प्रत्याशी डा. चंद्रपाल सिंह यादव को हराकर ये सीट अपने नाम की थी। सपा और बसपा के गठबंधन के बाद आगामी चुनाव के समीकरणों में व्यापक बदलाव होने की संभावना है। नए परिवेश होने वाले इस चुनाव में झांसी में भाजपा की राह आसान नहीं होने वाली। इसकी प्रमुख वजह यही है कि भाजपा की सांसद उमा भारती पिछले चुनाव में किए प्रमुख वायदे को पूरा करने में विफल रही हैं। दरअसल उमा भारती और भाजपा के बड़े नेताओं ने केंद्र में अपनी सरकार बनने के छह माह के भीतर ही बंुदेलखंड राज्य का निर्माण कराने का वायदा क्षेत्र के लोगों से किया था लेकिन वो आज तक पूरा नहीं हो सका है। अब भाजपा के नेता उस वायदे को बिसरा चुके हैं। उनके इस रवैये का यहां के कई संगठनों के नेताओं ने पिछले दिनों मुखर विरोध भी किया। सांसद व केंद्रीय मंत्री उमा भारती और अन्य नेताओं के यहां पुतले भी फंूके गए। ऐसे में आगामी चुनाव में भाजपा की राह में विरोध के और कांटे बिछने की संभावनाएं भी बढ़ गई हंै।
झांसी लोकसभा क्षेत्र में उत्तर प्रदेश विधानसभा की पांच सीटें शामिल हैं। ये हैं बबीना, ललितपुर, झांसी नगर, महरौनी और मऊरानीपुर। इनमें से दो क्षेत्र महरौनी और मऊरानीपुर अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं।
वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की कर्मभूमि झांसी की सियायत भी काफी उतार चढ़ाव वाली रही है। सन 1952 में यहां हुए लोकसभा के पहले आम चुनाव में कांग्रेस के रघुनाथ विनायक धुलेकर ने जीत दर्ज की थी। सन 1952 से 1977 तक के पांच आम चुनावों में लगातार यहां से कांग्रेस उम्मीदवारों ने जीत दर्ज कराई थी। सन 1977 में जब देश में जनता पार्टी की लहर चली तो इस सीट पर भी कांग्रेस का विजय रथ थम गया। तब इस सीट से सुशीला नैयर ने कांग्रेस प्रत्याशी को पराजित किया। सन 1980 में जब कांग्रेस की सियासी गणित बदली तो यहां भी उसका बदलाव दिखा। सन 80 और सन 1984 के चुनावों में इस सीट पर कांग्रेस ने बाजी मारी। सन 1989 में पहली बार यहां भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के रूप में लोकप्रिय नेता राजेंद्र अग्निहेात्री ने जीत हासिल की। वे ही 91, 96 और 1998 के चुनाव में यहां से विजय हासिल करते रहे। अपनी और पार्टी की लोकप्रियता के बलबूते राजेंद्र अग्निहोत्री यहां से चार बार सांसद चुने गए। सन 1999 के चुनाव में उन्हें कांग्रेस के प्रत्याशी सुजान सिंह बुंदेला के हाथों पराजय झेलनी पड़ी। सन 2004 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के डा. चंद्रपाल सिंह यादव ने इस सीट पर पहली बार जीत हासिल की। वहीं सन 2009 के लोकसभा चुनाव कांग्रेस के प्रत्याशी प्रदीप जैन आदित्य ने जीत दर्ज की। उन्होंने झांसी की सीट पर कांग्रेस की वापसी करवाई। इसके एवज में उन्हेें केंद्र की मनमोहन सिंह सरकार मंे ग्रामीण विकास राज्य मंत्री का पद भी मिला लेकिन वे अपनी लोकप्रियता बरकरार नहीं रख सके। सन 2014 में जब पूरे देश में भाजपा के नेता नरेंद्र मोदी के नाम पर सियासी लहर चली तो इस सीट पर मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और फायर ब्रांड नेता उमा भारती ने अपने प्रतिद्वंद्वियों को पीछे छोड़ते हुए जीत हासिल की। अपने बयानों की वजह से हमेशा चर्चा में रहने वाली उमा भारती ने सपा के डा. चंद्रपाल सिंह को इस सीट पर 190467 मतों के भारी अंतर से पराजित किया था लेकिन क्षेत्र में कम उपस्थिति के कारण उनका प्रभाव कम होता गया। सियासी हालात को देखते हुए उमा भारती ने पहले से ही ये ऐलान कर रखा है कि वे इस बार चुनाव नहीं लड़ेंगी। उनके ऐलान के बाद भाजपा के क्षेत्रीय नेताओं ने इस सीट के लिए दावेदारी पेश करने का काम शुरू कर दिया है। अब देखना यह है कि भाजपा किसे इस सीट से उम्मीदवार तय करती है। प्रदेश के सपा और बसपा के गठबंधन के बाद चुनावी समीकरण में फेरबदल तय है। गठबंधन की स्थिति मेें यह सीट सपा के खाते में जानी है। ऐसा इसलिए क्योंकि सन 2014 के चुनाव मेें सपा यहां दूसरे नंबर पर थी। सपा में भी इस सीट के दावेदारों ने भागदौड़ शुरू कर दी है। पूर्व मंत्री शिवपाल सिंह यादव के प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बनाने के बाद सपा के समीकरण भी प्रभावित हुए हैं। अब देखना यह है कि सपा और प्रसपा किसको यहां मैदान में उतारती है। कांग्रेस गठबंधन से अलग है। ऐसे में वह भी इस सीट पर प्रत्याशी उतारेगी। ऐसे में यहां का आगामी चुनाव रोमांचक होने की उम्मीद है।
यूपी के चर्चित शहरों में से एक झांसी की 93 प्रतिशत आबादी हिंदू बहुल है। बमुश्किल 4 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं। सन 2014 के लोकसभा चुनाव में इस क्षेत्र में 1932052 वोटरों ने हिस्सा लिया था।उस चुनाव में भाजपा ने जीत हासिल की। यहां दूसरे नंबर पर सपा रही। बसपा तीसरे और कांग्रेस चैथे नंबर 4 पर रही।