*कोंच (जालौन)।* यहां नहर निरीक्षण भवन परिसर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में पंचम दिवस कथा व्यास पं. रमाकांत व्यास ने कहा, मनुष्य होकर स्वयं को असहाय और बेचारा अनुभव करना अच्छी बात नहीं है। भाग्य लेकर तो सभी जन्मते हैं लेकिन अपने सद्कर्मों से भाग्य को सौभाग्य में बदला जा सकता है।
पालिकाध्यक्ष प्रदीप गुप्ता द्वारा संयोजित श्रीमद्भागवत कथा में कथा व्यास ने कहा, जो अपने ‘स्व’ में स्थित हो गया फिर उसे परिस्थितियां प्रभावित नहीं करतीं हैं। श्रीमद्भागवत महापुराण की सन्निद्धी में हम जब जिज्ञासु बनकर बैठते हैं तब हमें अपने स्व में स्थित होने की कला आ जाती है। कभी-कभी लोगों के मन में विचार आता है कि उनकी जितनी योग्यता है उसके अनुरूप उतनी प्रतिष्ठा, प्रसिद्धि, अनुमोदन प्राप्त नहीं हुआ। यही वह माया है जो आपके पास सब कुछ होते हुए भी आपको तथाकथित रूप से ‘छोटा’ दिखा देती है। मनुष्य होकर स्वयं को असहाय और बेचारा अनुभव करना अच्छी बात नहीं है। प्रायः देखा जाता है कि जिनके बड़े सम्मान होते हैं वो लोग थोड़ी सी उपेक्षा में ही अपना अपमान अनुभव करने लगते हैं। श्रीमद्भागवत महापुराण में दर्शित प्रभु की लीलाएं हमें सिखाती हैं कि जीवन में हमारा विचार और व्यवहार कैसा होना चाहिए। पंडाल में वामन अवतार, श्रीराम जन्म और श्रीकृष्ण जन्मोत्सव हर्ष और उल्लास पूर्वक मनाया गया। धूमधाम से नंदोत्सव मनाया गया, कथा व्यास ने कान्हा की बाल लीलाओं का सुंदर वर्णन किया। अंत में कथा परीक्षित मोंटी-प्रदीप गुप्ता ने भागवत की आरती उतारी, प्रसाद वितरित किया गया।
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कोंच: मनुष्य होकर स्वयं को असहाय और बेचारा अनुभव करना अच्छी बात नहीं है-पं. रमाकांत व्यास
