नई दिल्ली 8 मार्चः महिला दिवस पर हम आपको भारत सहित पूरी दुनिया के उन स्थानो के बारे मे बता रहे हैं, जहां केवल महिलाओ की हुकूमत चलती है। आदमी केवल हुक्म सुनता है। परंपराओ केसाथ जिन्दगी जीने के इस अंदाज को आप पढ़े, तो आप भी हैरान रह जाएंगे।
इम्फाल में रोजाना लगने वाले बाजार में मर्द आकर सामान तो खरीद सकते हैं लेकिन अपनी दुकान नहीं लगा सकते। यहां केवल महिलाओं का दबदबा चलता है। इसलिए इस बाजार को ‘मदर्स मार्केट’ भी कहा जाता है। बड़े से क्षेत्र में फैले इस बाजार में सब्जियों से लेकर मीट, कपड़े और बाकी जरूरतों का सामान मिलता है। सवेरे से लेकर शाम तक जबरदस्त भीड़ होती है। ये बाजार सिर्फ एशिया का ही नहीं, बल्कि दुनिया का महिलाओं के द्वारा चलाया जाने वाला सबसे बड़ा बाजार है।
यहां दुकानें लगाने वाली महिलाओं के लिए सिर्फ एक नियम है कि यहां केवल शादीशुदा औरते ही यहां सामान बेच सकती हैं।
यहां महिलाओं को शादी से पहले कई मर्दो से संबंध बनाने की इजाजत है। वो अपनी मर्जी से किसी भी मर्द के साथ शादी कर सकती है। इतना ही नहीं, शादी के बाद भी वह किसी गैर मर्द के साथ संबंध बना सकती हैं। तथा महिलाये अपनी इच्छा अनुसार शादी करती है और अपनी इच्छानुसार तलाक ले लेती है। लेकिन पुरुष किसी अन्य महिला से संबंध नहीं बना सकता। तुआरेग जनजाति मातृसतात्मकक समाज है, जहां महिलाओं को पुरुषों की तुलना में अधिक अधिकार दिए गए है। यहां महिलाएं आराम से किसी भी पुरुष से शादी कर सकती है शादी के बाद गैर मर्द से शारीरिक संबंध बना सकती है। महिलाएं ही घर की मुखिया होती है।
गरसिया जनजाति, राजस्थाान
इस जनजाति के लोग एक ही घर में शादी से पहले एक साथ रहते हैं और एक बच्चेि के जन्मम के बाद ही वो शादी करने या नहीं करने का फैसला लेते हैं। महिला अपनी इच्छा से किसी और पुरुष के साथ लिव इन में रहने का निर्णय ले सकती है।
इस जनजाति में महिलाओं को ऊंचा दर्जा प्राप्त है खेती पर निर्भर रहने वाले इस जनजाति के लोग तभी शादी करते हैं जब इनके पास पर्याप्तल धन होता है।
लड़के का परिवार पहले लड़की के परिवार को कुछ पैसे देते हैं और उसके बाद ही कपल एक साथ लिव इन में रहना शुरु करता है। कपल के शादी करने के निर्णय लेने के बाद लड़के का परिवार ही शादी का सारा खर्चा उठाता है। वहीं विवाह समारोह का आयोजन लड़के के घर पर ही किया जाता है। महिलाएं चाहे तो नए पार्टनर के साथ भी लिव इन में रह सकती हैं, उसके लिए नए पुरुष पार्टनर को उस महिला के साथ रहने के लिए पहले से भी ज्यांदा कीमत चुकानी पड़ती है।
नॉदर्न तंजानिया की एक जनजाति
नॉदर्न तंजानिया के जनजाति की एक महिला का दूसरी महिला से शादी करना यह एक स्थानीय परंपरा के अंतर्गत होता है। जिसे न्यूंबा न्योनभू कहा जाता है। जिसका मतलब है महिलाओं का घर। इस जनजाति की युवा महिलाओं को किसी भी मर्द को अपना साथी चुनने की आजादी होती है। ताकि, वो बच्चे को जन्म दे सके। इस जनजाति की महिलाएं सिर्फ बच्चे पैदा करने के लिए किसी मर्द के साथ शारीरिक संबंध बनाती हैं। बच्चा पैदा होने के बाद पुरुष अपने पिता के अधिकारों को त्यागते हैं, जिसके बाद वो महिला किसी दूसरी महिला से शादी कर उस बच्चे को पालती है।
अकान या पिग्मीप जनजाति, अफ्रीका
अफ्रीका के अका समुदाय के लोग कद काठी में बौने होते हैं और गहरे रंग के होते हैं। यह लोग लम्बाकई में ज्या दा नहीं होते हैं। महिलाएं और पुरुष दोनों ही साथ में ही शिकार किया करते हैं और साथ में खाना बनाएंगे और बच्चों की देखरेख करेंगे। हालांकि ये लोग दूसरे मानव समुदाय से बहुत अलग है। जब इनकी माएं शिकार के लिए बाहर होती है तो इस जनजाति के पुरुष घर और बच्चोंा को सम्भाालते हैं। अकान काबिले में सभी नियम समान है यहां न तो पुरुष घर पर रुकते है और न ही महिलाएं। यहां दोनों मिलकर भागीदारी से घर के कामों में हाथ बंटाते है और शिकार पर जाते हैं। यहां पुरुष कोई भी बात स्वामभिमान पर रहते है वो महिलाओं की स्व तंत्रता को लेकर बहुत सजग है।
मोस्यूव जनजाति, चाइना
चाइना और तिब्ब त के कुछ इलाकों में रहने वाले मोस्यू जनजाति की घर से लेकर बिजनस तक के सारे फैसले घर की मुखिया जो कि नानी या दादी होती हैं, वहीं लेती हैं। इस जनजाति के पुरुष की भूमिका सिर्फ एक स्प र्म डोनर की होती हैं, जो कि मातृसत्ताित्म क समाज को बढ़ाना के लिए होती हैं। मोस्यूी जनजाति की महिलाएं अपनी इच्छािनुसार एक से ज्याजदा पुरुष पार्टनर के साथ फिजिकल हो सकती हैं। इस जनजाति में बच्चास पैदा करने वाली महिलाओं के लिए प्राइवेट रुम होते है, बल्कि यहां पुरुष या तो अपनी महिला मित्र के साथ सो सकते है या फिर जानवरों के तबले में। मोस्यू महिलाओं को भी नहीं मालूम होता है कि उसके बच्चों का पिता कौन हैं, इस मातृसत्ताामक समुदाय में बच्चेंस अपनी मांओं के नाम से जाने जाते हैं।
कलाश जनजाति, उत्तरी पाकिस्ताेन
अफगानिस्तािन और पाकिस्ताचन के बॉर्डर पर स्थित हिंदुकुश घाटी में कई सदियों से बसा कलाश जनजाति। कलाश जनजाति के पुरुषों से ज्यातदा महिलाओं को इज्जलत और सम्माान मिलता है। महिलाएं को यहां खुलकर जीने और कुछ भी करने की आजादी है। वे किसी के लिए भी अपने प्यार का इज़हार कर सकती हैं, अपनी शादी को तोड़ने का एलान कर सकती हैं और वे किसी के साथ भाग भी सकती हैं। यहां महिलाओं के लिए तलाक लेना या नए पार्टनर के शादी या लिव इन में रहना जैसे नियम पुरुषों के मुकाबले बहुत ही आसान हैं। महिलाएं चाहे तो कभी भी अपने पुरुष पार्टनर को छोड़ दूसरे मर्द के साथ जाकर बस सकती हैं।