झांसी विद्रोस नवा थाना क्षेत्र के नए तहसील परिसर के सामने बने हनुमान मंदिर की दीवार तोड़ जाने को लेकर हुए विवाद के बाद जिस तरह से लाठियों चली उसकी असली वजह जानने के लिए अभी भी लोग सस्पेंस में है। किसी को यह बात समझ में नहीं आ रही कि आखिर हिंदूवादी संगठनों और नगर निगम कर्मियों के बीच लाठी और पत्थर कहां से आ गए? क्या यह पूर्व नियोजित था या फिर किसी के उकसाने की पहल है?
आपको बता दें कि बीते रोज नई तहसील परिसर के सामने बने हनुमान मंदिर पर नगर निगम की टीम ने अतिक्रमण हटाने को लेकर कार्यवाही की थी। जेसीबी के सहयोग से मंदिर का चबूतरा तोड़ दिया था। नगर निगम का दावा है कि यह भूमि उसके स्वामित्व की है और यहां भूमाफिया जमीन पर कब्जा करना चाहते हैं।
इसलिए साफ किया जा रहा था । क्योंकि उस जगह मंदिर बना हुआ था और मंदिर तोड़े जाने की खबर ने वहां चंद ही लम्हों में कई लोगों को एकत्रित कर दिया। विरोध और नोकझोंक के बीच मीडिया की मौजूदगी में नगर निगम की टीम को खदेड़ दिया गया। इसे मौके पर मौजूद लोगों के गुस्से का प्रतिक कहा जा सकता था। जिसे प्रशासन और पुलिस के अधिकारी पटाक्षेप करने के लिए दोनों पक्षों के बीच बातचीत य स्थिति को दोबारा उत्पन्न ना होने देने जैसे कदम उठाकर रोक सकते थे, लेकिन घटना के कुछ ही घंटे के अंदर प्रक्रिया के रूप में जिस तरह से नगर निगम के सफाई कर्मचारी एक होकर हाथों में लाठी लेकर मौके पर पहुंचे और दना दन लाठियां भांजी।
निश्चय ही कहा जा सकता है कि कोई ना कोई वजह इस घटना को अंजाम देने के पीछे जरूर रही होगी! झांसी का आम आदमी और राजनीतिक दल के लोग अभी भी घटना के 24 घंटे बीत जाने के बाद वास्तविकता को समझने के लिए माथापच्ची कर रहे हैं।
सत्ता पक्ष की ओर से बीजेपी महानगर अध्यक्ष प्रदीप सरावगी ने बीते रोज ही इसे नगर निगम की गुंडई बता दिया था तो बुधवार को नगर विधायक रवि शर्मा के साथ वह खुद मौके पर पहुंचे । इस दौरान विधायक रवि शर्मा ने कहा कि यह मामला मुख्यमंत्री के संज्ञान में आ चुका है। जमीन नगर निगम की है वह जन भावनाओं के मद्देनजर यहां आए हैं । बरहाल मामला जमीन का है या किसी साजिश का यह तो सस्पेंस में फंसा हुआ है, लेकिन इतना जरूर साफ है कि मामला बिना किसी कारण के लाठी डंडे चलने तक नहीं पहुंचा!