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झाँसी-भगवान परशुरामजी के जीवन से हर पल प्रेरणा ले-अरविंद वशिष्ठ, रिपोर्ट-सत्येंद्र, रोहित

झाँसी। युथ वेलफेयर सोसाइटी के प्रधान कार्यालय में भगवान् परसुराम की जयंती धूम धाम से मनाई गयी । इस अवसर पर भगवान् परसुराम के चित्र पर मुख्य अथिति पंडित अरविन्द वशिस्ठ ने माल्यार्पण कर उनका पूजन किया एवं विसिष्ट अथिति इंजी राहुल शुक्ल ,पंडित देवेंद्र दीक्षित ने भी भगवान् परसुराम का पूजन कर मिस्ठान वितरित किया।

मुख्य अथिति पंडित अरविन्द वशिस्ठ ने भगवान् परसुराम के जीवन पे प्रकाश डालते हुए कहा की परशुराम त्रेता युग (रामायण काल) के एक ब्राह्मण थे। उन्हें विष्णु का छठा अवतार भी कहा जाता है। पौरोणिक वृत्तान्तों के अनुसार उनका जन्म भृगुश्रेष्ठ महर्षि जमदग्नि द्वारा सम्पन्न पुत्रेष्टि यज्ञ से प्रसन्न देवराज इन्द्र के वरदान स्वरूप पत्नी रेणुका के गर्भ से वैशाख शुक्ल तृतीया को हुआ था। वे भगवान विष्णु के छठे अवतार थे। पितामह भृगु द्वारा सम्पन्न नामकरण संस्कार के अनन्तर राम, जमदग्नि का पुत्र होने के कारण जामदग्न्य और शिवजी द्वारा प्रदत्त परशु धारण किये रहने के कारण वे परशुराम कहलाये।

आरम्भिक शिक्षा महर्षि विश्वामित्र एवं ऋचीक के आश्रम में प्राप्त होने के साथ ही महर्षि ऋचीक से सारंग नामक दिव्य वैष्णव धनुष और ब्रह्मर्षि कश्यप से विधिवत अविनाशी वैष्णव मन्त्र प्राप्त हुआ। तदनन्तर कैलाश गिरिश्रृंग पर स्थित भगवान शंकर के आश्रम में विद्या प्राप्त कर विशिष्ट दिव्यास्त्र विद्युदभि नामक परशु प्राप्त किया।

शिवजी से उन्हें श्रीकृष्ण का त्रैलोक्य विजय कवच, स्तवराज स्तोत्र एवं मन्त्र कल्पतरु भी प्राप्त हुए। चक्रतीर्थ में किये कठिन तप से प्रसन्न हो भगवान विष्णु ने उन्हें त्रेता में रामावतार होने पर तेजोहरण के उपरान्त कल्पान्त पर्यन्त तपस्यारत भूलोक पर रहने का वर दिया। इसके उपरांत विशिष्टा अतिथि इंजी राहुल शुक्ल ने कहा आज 7 मई को वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया है. लोग इस तिथि को अक्षय तृतीया के नाम से भी जानते हैं. लेकिन यह तिथि एक और मायने में बेहद खास है.उन्होंने कहा परसुराम माता पिता भक्त थे और आज के समाज को उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए । इंजी शुक्ला ने कहा की भगवान परशुराम शस्त्र विद्या के श्रेष्ठ जानकार थे। परशुराम केरल के मार्शल आर्ट कलरीपायट्टु की उत्तरी शैली वदक्कन कलरी के संस्थापक आचार्य एवं आदि गुरु हैं।वदक्कन कलरी अस्त्र-शस्त्रों की प्रमुखता वाली शैली है। इसके उपरांत पंडित देवेंद्र कुमार दीक्षित ने कहा की भगवन परशुरामजी का उल्लेख रामायण, महाभारत, भागवत पुराण और कल्कि पुराण इत्यादि अनेक ग्रन्थों में किया गया है।

कारिक्रम का सञ्चालन इंजी संदीप मिश्रा एवं आभार पंडित सतेंद्र उपाध्याय ने किया इस अवसर पे पंडित मदन तिवारी ,चेतन महाराज ,अवधेश महाराज ,गौरव शर्मा ,राकेश त्रिपाठी मनीष रैकवार ,राकेश अमर्या ,अरविन्द दुबे ,मुकुट बिहारी मिश्रा , अमित चक्रवर्ती ,राजा दुबे आदि उपस्थित रहे।

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