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झाँसी में पानी संकट-चुनाव में घूमे गली-गली, विधायक, महापौर को समस्या एक नहीं मिली!

झाँसी। अबकी बार फिर एक बार मोदी सरकार। जी हां, क्या भाजपाई और क्या नगर विधायक । सभी के स्वर चुनाव में इस नारे की गूंज के साथ अपने सुर मिलाते नजर आ रहे थे । जोश में महापौर भी रहे । उन्होंने तो कमाल ही किया ।

झांसी का कोई ऐसा कोना नहीं छोड़ा, जहां वह पार्टी प्रत्याशी के समर्थन में लोगों से मिलने ना पपहुँचे हो, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि जिन गलियों में दोनों ही माननीय चुनावी कदमताल में जीत की तलाश रहे थे, वहाँ कई जगह लोगों के कंठ प्यासे थे , लेकिन इन्हें किसी समस्या को देखने औऱ सुनने की फुर्सत नहीं मिली।

हम बात कर रहे हैं शहर के पॉश इलाके सिविल लाइन की। यहाँ आदमी नहीं बल्कि शहर के संभ्रांत नागरिक निवास करते हैं , जिन्हें मिडिल कलस से ऊपर माना जाता है । आपको जानकर हैरानी होगी इस क्लास के लोग पिछले 8 दिन से पानी के लिए तरस रहे हैं।

उनकी इस परेशानी का नजारा या यूं कहें कि अपनी बात को रखने के लिए युवा व्यापारी नेता राघव वर्मा ने मतदान के दिन वोट करते हुए विरोध जताया था । ऐसा नहीं है कि उनका विरोध एकांत कर रहा हो वह मीडिया में सुर्खियां बने ।

इसके बाद भी किसी ने यह सोचने की जहमत नहीं उठाई की समस्या से आखिर कैसे निजात मिलेगी। प्रशासन और राजनीति दोनों ही अपनी समस्या में इतने बिजी है कि उन्हें जनता को यह कहने में हिचक नहीं हो रही थी , अभी हालात हमारे लिए जरा व्यस्तता के है।

इलाके की पानी की समस्या का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि व्यापारी नेता राघव वर्मा ने आज सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डाली । बिलैक पोस्ट में सिर्फ एक शब्द अंकित था जिसमें लिखा था 8 वा दिन ।

यानी इस क्षेत्र की पानी की समस्या को 7 दिन बीत चुके हैं , लेकिन विधायक , महापौर और प्रशासन के कानों में किसी प्रकार की जू नहीं रेगी ।

हां , हैरानी इस बात की रही कि राघव वर्मा के पोस्ट को समर्थन देने और आवाज बुलंद करने के लिए भारतीय प्रजाशक्ति पार्टी के पंकज रावत में महापौर को घेरने का प्रयास किया , तो भाजपाई नेता रानू देवलिया उनका ही मजाक उड़ाने में नहीं हिचके।

शायद ऐसे भाजपाई राजनीति को मजाक बनाने में आनंदित होते हैं और खुद को जनता का हमदर्द साबित करने में कसर नहीं छोड़ते । ना संगठन में स्थान और ना ही जनाधार होने के बाद भी सिर्फ सोशल मीडिया पर लोगों का मजाक उड़ाना और उन्हें कटघरे में खड़ा करना ऐसे भाजपा नेताओं को पार्टी में नुकसान देह माना जा सकता है।

बरहाल बात ऐसी भाजपाइयों की नहीं है बात यह है कि क्या किसी क्षेत्र में समस्या है तो उसके समाधान के लिए जनप्रतिनिधियों को खोज खबर नहीं रखनी चाहिए?

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