झांसी: जिस माटी को सोने के दाम पर बेचकर जमीन के कारोबार से जुड़े लोग रातो रात करोड़पतियो की सूची मे शमिल हो गये, अब उनके सामने सड़क पर आने का संकट मंडराने लगा है। रातो को नींद नहीं आ रही। बेनामी जमीन को जमा कर दौलत के ढेर पर बैठने वालांे के माटी की माटी मे मिला दे तो कुछ आष्चर्यजनक नहीं होगा।
पिछले कुछ सालो मे झाँसी जनपद मे जमीन के दाम सोने से ज्यादा महंगे हो गये थे। कल तक जिस जमीन को लोग कोडि़यांे के दाम नहीं खरीदते थे, आज उसकी कीमत करोड़ांे पर जा पहुंची है। जनपद मे जमीन के कारोबार के अचानक छलांग लगाकर आसमान मे उड़ने के पीछे की कहानी कम रोचक नहीं है।
जानकारो का कहना है कि नगर मे जमीन के दाम यूं ही नहीं उछले थे। इसके पीछे दो वजह मुख्य रहीं। एक बाहर से आयी रियल स्टेट कंपनियो ने नगर के आसपास की जमीन को उंचे दामो मे खरीदना। इसके बाद स्थानीय स्तर पर जमीनो का कारोबार करने वालांे ने सरकारी जमीन को कब्जाते हुये किश्त और उंचे दाम पर बेचकर जमीन को सोने से ज्यादा कीमती बना दिया।
जानकारांे का कहना है कि जिस तरह से महंगाई पर काबू करने के लिये जिंसांे को काबू मे करने के प्रयास किये गये, उससे सोना, चांदी और जमीनों के भाव लुढ़कना स्वभाविक है। बाजार मे सोना, चांदी व अन्य धातुआंे के दामो मे लगातार गिरावट इस बात का संकेत है कि आने वाले दिनो मे सरकार के कुछ और फैसले इनके दाम धरातल पर ला दंेगे।
यदि ऐसा होता है तो इसका सीधा असर जमीनो पर पड़ेगा। क्यांेकि अधिकांश लोगो ने जमीनो पर पैसा लगा रखा है। इधर, नगर मे सरकारी जमीन को अपने पाले मे करने के लिये तत्कालीन कमिश्नर के एनओसी के फार्मूले ने आग में घी का काम किया था। जमीन से जुड़े कारोबारी एनओसी के चलते अपना कारोबार समेटने मे लग गये थे। कुछ कारोबारियो के यहां पूंजी लगाने वाले सरकारी कर्मी व अन्य लोग चक्कर लगाकर पैसा वापस मांग रहे है। ऐसे मे इस बात के संकेत मिलने लगे हैकि आने वाले दिनो मे पैसो के लेकर जमीनो के कारोबार से जुड़े लोगो और इन्वेस्ट करने वालो के बीच विवाद की स्थिति बन सकती है। जमीन का कारोबार करने वाले एक बड़े आदमी का हाल सभी देख रहे हैं। वह लापता से हो गये हैं। कल तक उन्हे नगर मे भगवान की तरह पूजा जाने लगा था। अब उन्हे न तो सत्ता और न ही जनता का सहारा मिल रहा। यही हाल दूसरे जमीन कारोबारियो का है। एक ओर जमीनो के दाम गिरने की आषंका से कारोबारियो की रातो की नींद उड़ी हुयी है तो लोग भी आशकित है कि उनकी जमा पूंजी न लुट जाये। नोटबंदी के बाद बुन्देली माटी को बेचकर पैसा कमा रहे लोगो पर लगाम तो लगी। कई प्रोजेकेट बद है।