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झांसी-चारों तरफ हल्ला है, व्यापारी नहीं दल्ला है

झांसी 14 अक्टूबरः धूर्त, मक्कार, मतलबी, स्वार्थी और दलाल। जी हां, इन दिनो  नगर निगम चुनाव मे  दावेदारों  को लेकर हो रही चर्चाओं मे  एक दावेदार को लेकर कुछ इस तरह के कमंेटस किये जा रहे हैं। सभी दावेदारों  की चर्चाओ मे  यह  चर्चा सबसे ज्यादा हो रही है।

अपनी राजनैतिक महत्वाकांक्षा को परवान चढ़ाने के लिये विभिन्न लोग चुनावी मौसम मे  मैदान मे  आते हैं। प्रत्याशियो  के नजर आने के बाद उनको लेकर होने वाली टिप्पणी कम रोचक नहीं होती।

ऐसा ही कुछ मेयर के दावेदारों  को लेकर हो रहा है। राजनैतिक दलो  से लेकर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप मे  सामने आ रहे दादेवारों मे  सबसे ज्यादा रोचक चर्चा उक्त प्रत्याशी को लेकर हो रही है। यह कहा जा रहा है कि दलाल प्रवृत्ति वाले दावेदार जीत के बाद अपनी वास्तविकता का लाभ लेने के सिवाए क्या करंेगे?

व्यापार जगत मे  अपने को स्वयंभू कहने वाले प्रत्याशी की बाजार मे  असलियत सामने आने लगी है। व्यापारियो  के हित की आड़ मे  अपने को स्थापित करने वाले इस तरह के प्रत्याशियो  पर व्यापारी ही नहीं आम आदमी के बीच यह संदेश है कि वो तो केवल दलाल और मतलबी इंसान है।

ऐसे इन्सान पर क्या भरोसा किया जा सकता है? यह भी कहा जा रहा कि जो प्रत्याशी अपने को एक दायरे से बाहर नहीं निकाल सका, वो संपूर्ण झांसी के बारे मे  क्या सोचेगा? कहा यह भी जा रहा है कि व्यापारी राजनीति मे  अब तक किये गये कार्यों किसी को बताया नहीं गया? व्यापार वर्ग मे  दावेदारी की बात चलने पर कहा गया कि सिर्फ अपने नाम और पहचान की आड़ मे  अधिकारियो  से समझौता कराने मंे मास्टर प्रत्याशियो  की जनहित मे  क्या पहचान हो सकती है?

ब्रहाल, चर्चाओ  के बाजार मे  दावेदारों को लेकर गलियों मे  भी गूंज सुनायी दे रही है। सभासदी के दावेदारों  को राजनैतिक दलो मे  अचानक मिलने की जगह भी चर्चा का केन्द्र है।  सभी यह कह रहे हैं कि जो लोग अचानक दलो  मे  प्रवेश कर रहे हैं, वो सिर्फ अपने लिये जीत चाहते हैं। ऐसे लोग विकास के कार्य कैसे करायेंगे?

 

 

 

 

 

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