झांसीः नगर के मुख्य बाजार मे यातायात व्यवस्था बनाना सबसे बड़ी चुनौती है। इसको लेकर किये जा रहे प्रयास जमीन पर सफल नहीं हो पा रहे। मानिक चैक मे वन-वे की व्यवस्था पर भी सही तरीके से अमल नहीं हो पा रहा। इसमे सबसे बड़ी रूकावट दुकानदार व अस्थाई रूप से लगने वाले हाथ ठेला है।
बिना हल्द फिटकरी लगे रंग चोखा होने वाली कहावत को इन दिनो अस्थाई हाथ ठेला वाले चरितार्थ कर रहे हैं। मानिक चैक, बड़ाबाजार, बिसाती बाजार, सीपरी बाजार, रस बहार आदि स्थानो पर ठेला लगाने वालो की जैसी बाढ़ आ गयी है।
अब तो यह लोग बेशर्मी की हद पार करने लगे हैं। पहले एक्का दुक्का ठेले वाले नजर आते थे, लेकिन अब तो मानिक चैक मे सब्जी वाले भी आने लगे।
ठेले वालो के आने से बाजार मे दुपहिया वाहन लेकर आने वाले परेशान हो जाते। इन ठेले वालो की हिमाकत देखो। सामाने लेने वालो के लिये किसी भी जगह ठेला लगा देना इनकी आदत है। हटने को कहो, तो लड़ने पर आमादा हो जाते हैं।
इन सबके बीच एक और समस्या है, जिसने मानिक चैक जैसे सबसे पुराने बाजार का स्वरूप बिगाड़ रखा है। बाजार मे दुकानदार अपनी दुकानांे को बाहर लगाने की आदत से बाज नहीं आ रहे।
बड़े से बड़े शोरूम की बात करे या फिर छोटे दुकानदारो की। सभी ने दुकान के बाहर बने फुटपाथ को तो कब्जे मे कर ही लिया है, कब्जे के बाद की जगह पर वाहन पार्क किये जाते हैं।
आपको बता दे कि दुकान के बाहर बने फुटपाथ को छोड़ने के लिये कई बार पहल की गयी, लेकिन सफल नहीं हो सकी। यहां तक कि दुकानो के आगे चूना तक डाला गया। मालिनो के तिराहा पर ठला वालो को हटाने का आज तक इंतजाम नहीं हो सका। इतना ही नहीं बिसाती बाजार मे तो हर दुकानदार की दुकान सड़क पर है।
ऐसे हालातो मे जब दुकानदार ही अतिक्रमण कर रहे हैं, तो बाजार का स्वरूप कैसे बना रह सकता है, यह एक बड़ा सवाल है।