झांसीः इसे कमाल ही कहेगे कि बबीना विधायक राजीव सिंह पारीछा अब स्टार प्रचारक बन गये हैं। राजीव तो चलो विधायक हैं, उनके साथ रोहित गोठनकर, संजीव अग्रवाल लाला, हेमन्त परिहार, अनिल पटैरिया जैसे भाजपाई भी रणनीतिकार बन गये। यानि झांसी मे मेयर चुनाव के दौरान विधायक रवि शर्मा अकेले मोर्चा संभाले थे, तब यह टीम रणनीति नहीं बना पायी!
भाजपा झांसी मे तमाम खेमे हैं। इस बात को पार्टी का प्रदेश नेतृत्व भी मानता है। यही कारण है कि मेयर सीट के लिये पार्टी को प्रत्याशी चुनने मे पसीना छूट गया था।
वैसे भी कहा जाता है कि मेयर रामतीर्थ सिंघल को चुनाव मे विधायक खेमे का साथ नहीं मिलता, तो परिस्थिति कैसी होती, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता कि जो लोग आज गुजरात मे स्टार प्रचारक बनकर गये हैं, वो पूरे चुनाव मे मूकदर्शक बन कर रहे थे।
सबसे बड़ा ताज्जुब तो इस बात का है कि बबीना विधायक राजीव सिंह पारीछा को चुनाव के बाद से अपने क्षेत्र की चिंता तक नहीं है।
चुनाव मे पसीना बहाने वाले रणनीतिकार, तो आगे की रणनीति बनाने मे जुटे हैं, जबकि जो भितरघात की संभावना से घिरे थे, वो गुजरात मे बाजी जिताने की कोशिश को परवान चढ़ा रहे हैं?
आपको बता दे कि भाजपा महानगर अध्यक्ष ने रोहित गोठनकर, संजीव लाला जैसे भाजपाईयो को संगठन मे किनारे इसलिये लगा दिया था क्यांेकि यह खुचड़पेच ज्यादा कर रहे थे? अब यह लोग उपर से मिले आर्डर के बाद स्टार प्रचारक कहें या रणनीतिकार बन गये।
हां, टिकट की दौड़ मे शामिल रहे संजीव ऋंगीऋषि को शायद चुनाव प्रबंधन मे मजा आता है। इसलिये वो उपरी पकड़ को ज्यादा मजबूत बनाने मे विश्वास रखते हैं। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का आशीर्वाद प्राप्त संजीव, राजीव की जुगल जोड़ी शायद यह भूल रही है कि झांसी मे जिस जनता ने राजीव को विधायक चुना है, वो आने वाले दिनो मे जवाब मांगने वाली है।
गुजरात चुनाव मे प्रचार के लिये गयी टीम के बारे मे स्थानीय स्तर पर और संगठन मे कितने लोगों को जानकारी है, यह बात भी हैरानी करने वाली है। पूर्व सभापति मानवेन्द्र सिंह से जब यह जानकारी ली गयी कि कौन सी टीम को गुजरात चुनाव मे प्रचार के लिये भेजा गया है, तो वह कुछ नहीं बता सके। अलबत्ता अपनो से पूछने के बाद इतना जरूर कहा कि दूसरे राज्यो में होने वाले चुनाव मे कार्यकर्ता प्रचार के लिये जाते हैं, कुछ लोग झंासी से गये होगे।