झांसी-विनोद सब्बरवाल ने कैसे मानवता की मिशाल पेश की

झांसीः जीवन पथ पर यदि आपके पास संसाधन नहीं है और गरीब, असहाय की मदद करना है, तो सबसे जरूरी चीज होती है आपका हौसला। हौसला बुलंद हो, तो पूरी कायनात आपके साथ हो जाती है। ऐसा ही कुछ समाजसेवा करने वाले व्यापारी विनोद सब्बरवाल ने किया। सड़क पर जिन्दगी के लिये तरस रहे एक बीमार को अस्पताल भिजवाया, ताकि उसकी सांसे टूट ना सके।

सर्द रात मे लोग शाम ढले घर से बाहर निकलने मे घबराते हैं। जाहिर है कि सर्दी के मौसम मे हर कोई घर की दीवार मे कैद होना चाहता, ताकि बीमारी या मुसीबत से बचा जा सके, लेकिन उन बदनसीब का क्या, जो हर मौसम, बीमारी की मार झेलते हुये भी जिन्दगी जी रहे हैं। इनमे कुछ ऐसे होते है, जिन्हे इलाज नहीं मिल पाता और असमय मौत के गाल मे समा जाते।

व्यापारी विनोद सब्बरवाल ऐसे लोगो  की पीड़ा देख काफी दुखी हो जाते हैं। बीती रात वो इलाइट चैराहा पहुंचे। यहां उन्हे सड़क पर बीमार युवक दिखायी दिया।

सर्द रात मे दोहरी हो रही काया बीमारी से ग्रसित थी। विनोद उसके पास गये। देखा, युवक टीबी जैसी बीमारी का शिकार था। उसके पास किसी प्रकार की सहायता का साधन भी नजर नहीं आ रहा था।

बीमार युवक को अस्पताल पहुंचाने के लिये विनोद ने तत्काल 108 एंबुलेस को फोन किया। गाड़ी से जब युवक को अस्पताल पहुंचा, तो दिल को थोड़ा सुकून मिला।

सुबह भी आंखो मे युवक का चेहरा घूमता रहा। अस्पताल पहुंचे।देखा युवक का इलाज हो रहा है, लेकिन टीबी की बीमारी गहरी हो गयी। अब इलाज के साथ दुआ भी कर रहे हैं। विनोद की इस सोच ने एक बीमार को ठीक होने की राह पर तो ला दिया, आगे ईश्वर की मर्जी। शायद विनोद के कर्म को ही कर्मपथ पर चलने वाली मंजिल कहा जाता है।

 

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