झांसीः पूर्व केन्द्रीय मंत्री प्रदीप जैन को राजनीति का मास्टर मांइड यूं ही नहीं कहा जाता है। पिछले एक दशक से कांग्रेस की राजनीति मे वनमैन शो की तरह छाये प्रदीप जैन ने निकाय चुनाव मे झांसी सीट के लिये जो दांव खेला, उसने सत्ताधारी दल बीजेपी को बैकफुट पर ला दिया है। हालत यह हो गयी कि पार्टी मेयर सीट के लिये दावेदारो की तलाश पूरी नही कर पा रही।
बुन्देलखण्ड में कांग्रेस रिटन्स की स्थिति निर्मित करने के लिये कांग्रेसजन पिछले कुछ दिनो से चिंतन कर रहे हैं। कुंजवाटिका मे सम्मेलन भी हुआ था।
उस सम्मेलन से ही तय हो गया था कि झांसी मे कुछ अलग हटकर किया जाएगा।जानकार मानते है कि प्रदीप जैन आदित्य का मेयर सीट के लिये प्रस्ताव पास होना कांग्रेस की रणनीति का अहम हिस्सा है। एक तीर से कई निशाने साध रही कांग्रेस का पहला तीर निशाने पर लगा है।सत्ताधारी दल फिलहाल चारो खाने चित की अवस्था मे है।
पार्टी से मेयर सीट के लिये दावेदारो मे प्रदीप सरावगी, संजीव ऋंगीऋषि, अमित साहू, रामतीर्थ सिंघल, संतोष गुप्ता, मन मोहन गेड़ा जैसे चेहरे प्रदीप के मैदान मे आने की खबर के बाद सकते मे हैं।यही कारण है कि पार्टी मे प्रदीप जैन का मुकाबला करने के लिये पूर्व मंत्री रवीन्द्र शुक्ल का नाम आगे किया जा रहा है।जानकार मानते है कि अभी जो दावेदार सामने हैं, उनमें प्रदीप का मुकाबला करने की हिम्मत शायद कम हो।
सूत्र बताते है कि एक दावेदार ने तो अपने को सरंेडर कर दिया!कंग्रेस की चाल मे सपा अपने आप फंस गयी। राहुल सक्सेना को टिकट देकर पार्टी ने अपने अंदर असंतोष की हवा को तेज कर दिया है।
जातीय और सामाजिक समीकरण का तानाबाना बुन रही भाजपा अब व्यापारी वर्ग या ब्राहमण समाज पर दाव लगाने के मूड मे है। सूत्र की मानो तो गेद विधायक रवि शर्मा के पाले मे फंेकी गयी है।
विधायक पर यह जिम्मेदारी दी जा सकती है कि वो महापौर की सीट को किसी भी हाल मे भाजपा के पाले मे बनाये रखें?