लखनउ 15 अप्रैलः कहावत है कि एक मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है। ऐसे ही सरकार के एक नुमाइन्दे पर लगे आरोप पूरी सरकार को कठघरे मे खड़ा कर देते हैं। आरोपो मे घिरे विधायक कुलदीप सिंह की हालत यह है कि कल तक जो वर्दी सलामी देते नहीं थकती थी, आज वही वर्दी उन्हे खींचते ले जा रही है। इसे कहते है वक्त का करवट बदलना!
विधायक कुलदीप सिंह का रसूख किसी से छिपा नहीं है। उनके बुलंदियो पर पहुंचने की गाथा कई लोग बता चुके हैं।रेप के आरोप मे फंसने के बाद कुलदीप का इतिहास सार्वजनिक हो गया।
इतना ही नहीं उन्हे सरकार से भी दूरी का सामना करना पड़ रहा है। साफ है कि इन दिनो कुलदीप सरकार के लिये फजीहत का कारण बने हुये हैं। योगी अपनी छवि से समझौता नहीं करने वाले व्यक्तिव है। सो, सच को सामने लाने के लिये बिना पल गंवाये सीबीआई के पास केस भेज दिया। जाहिर है कि आने वाले दिनो मे सच से पर्दा उठेगा और जनता जान सकेगी कि असलियत क्या थी।
बरहाल, अभी हालत यह है कि विधायक फूट-फूट कर रो रहे हैं। कल तक दूसरे के आंसू फोछने का काम करने वाले विधायक की आंखे गीली हैं। जुबां पर विरोधियो की साजिश के बोल हैं। विधायक कुछ भी कहे सुने, लेकिन सब कुछ वक्त और हालातो के काबू मे है, सो विधायक कर भी क्या सकते हैं?
धरती पर न्याय और अन्याय का पलड़ा अपनी मर्जी से झुकाने की मंशा रखने वालो को भले की चंद पल के लिये मर्जी पूरी होने का मजा मिलता हो, लेकिन कुदरत वक्त पर ही चाल चलती है। वक्त की चाल का सितम ऐसा होता है कि कोई भी आवाज सुनायी नहीं देती। कोई रसूख काम नहीं आता। कुलदीप का क्या होगा, यह वक्त ही तय करेगा, लेकिन इतना तो तय है कि इन्सान को अच्छे हालातो पर कभी गुमान नहीं करना चाहिये!