केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली ने जहां मिडिल क्लास के आम लोगों को निराश कियज्ञ है, वहीं दूंसरी ओर उन्होंने अपने सहयोगियों के प्रति भी ठंडेपन का रुख अपनाया है। मौजूदा हालात पर तेलुगू देशम पार्टी ने तीखा प्रहार किया है। वहीं राजनीति के जानकारों का मानना है कि यह बजट केंद्र की भाजपा सरकार की भविष्य की रणनीति पर भारी साबित होगा। इससे उसके कुछ साथी अब उससे अलग होने का कड़ा फैसला भी ले सकते हैं। यही नहीं भारत के सबसे बड़े मजदूर संगठनों में से एक भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने भी इस बजट को निराशाजनक कहा है। बीएमएस आरएसएस से जुड़ी संस्था है।
इससे पहले भी बीएमएस स्वदेशी और खुदरा व्यापार में विदेशी निवेश के मुद्दे पर भी नरेंद्र मोदी सरकार का विरोध कर चुकी है। भारतीय मजदूर संघ ने कहा कि सरकार ने इस बजट में मजदूरों के हित में कोई घोषणा नहीं की है जिससे उनका संगठन निराश है। इस बजट को वेतन भोगियों के लिए भी अच्छा नहीं कहा जा सकता है। बीएमएस ने बजट के खिलाफ देश भर में विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा की है। भारतीय मजदूर संघ ने पिछले साल नवंबर महीने में वित्त मंत्री से मुलाकात की थी और करमुक्त आय को 5 लाख रुपये तक करने की मांग की थी। यही नहीं संगठन ने न्यूनत्तम मासिक पेंशन 3 हजार रुपये करने की मांग की थी। लेकिन इस बजट में आयकर स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है। बीएमएस ने कहा कि केंद्र ने बजट में किसानों और इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए कई घोषणा तो की है लेकिन मजदूरों के बारे में इसमें कुछ भी नहीं है। वेतन भोगियों के लिए भी बजट में कोई राहत नहीं दिखाई देता है। संगठन का कहना है कि नौकरी पेशा वर्ग के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन की घोषणा तो की गई है लेकिन यह एक दिखावा है। संगठन का कहना है कि शिक्षा पर सेस बढ़ा दिया गया है जिसका भार सैलरीड वर्ग पर पड़ेगा।
केंद्रीय वित्त मंत्री जेटली ने बीते रोज ही साल 2018 का बजट पेश किया। इस बजट से जहां एक तरफ सरकार खुश है तो वहीं अन्य लोग नाराज हैें। जेटली ने बजट भाषण में इनकम टैक्स स्लैब में किसी तरह का बदलाव नहीं करने का ऐलान किया जबकि देश का मध्यम वर्ग इनकम टैक्स स्लैब में राहत की उम्मीद लगाए बैठा था। जेटली ने नौकरीशुदा लोगों को इनकम टैक्स में कोई राहत तो नहीं दी लेकिन उन्होंने 40,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन देकर उन्हें राहत के नाम पर थोड़ी सी खुशी थमाने की कोशिश की है। वित्त मंत्री ने मोदी सरकार का आखिरी पूर्ण बजट पेश किया। इसमें चुनावी छाप देखने को मिलती है। हालांकि, विपक्ष समेत एनडीए के कई सहयोगी दलों ने भी बजट की आलोचना की है मगर बीजेपी को उम्मीद है कि इस बजट से वो चुनावी बैतरणी पार कर लेगी। बजट में कृषि, ग्रामीण विकास और गरीबों पर खासा जोर दिया गया है। अपने बजट भाषण में आयुष्मान भारत योजना के तहत 10 करोड़ गरीब परिवारों के लिए ‘राष्ट्रीय स्वास्थ्य देखभाल योजना’ लॉन्च की है, जिसके तहत पांच लाख रुपये प्रतिवर्ष की कैशलेश हॉस्पिटलाइजेशन की सुविधा देने का प्रावधान किया गया है। टीबी रोगियों को पोषण के लिए भी 500 रुपये प्रतिमाह देने का ऐलान सरकार ने किया है। सरकार मे गंभीर बीमारियों पर एक लाख तक के खर्च पर भी इनकम टैक्स छूट देने का ऐलान किया है।
वित्त मंत्री ने बजट में इनकम टैक्स और निगम करों पर एक फीसदी उपकर का बोझ थोपा है। यानी अब बढ़ाकर कुल चार फीसदी स्वास्थ्य एवं शिक्षा उपकर लगाने का प्रस्ताव रखा है। बजट भाषण में जेटली ने कहा मौजूदा तीन फीसदी उपकर में से दो फीसदी प्राथमिक शिक्षा के लिए वसूला जाता है जबकि एक फीसदी उपकर माध्यमिक और उच्च शिक्षा के लिए लिया जाता है। उन्होंने कहा कि देश के तमाम बीपीएल और ग्रामीण परिवारों की शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए एक फीसदी अतिरिक्त उपकर लगाने का प्रस्ताव किया जाता है। उन्होंने कहा कि मौजूदा तीन फीसदी उपकर की जगह अब चार फीसदी उपकर लिया जाएगा। इससे सरकारी खजाने को 11,000 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होगा।
दूसरी ओर सरकार के साथ गठबंधन में शामिल आंध्र पदेश की तेलुगू देशम पार्टी के एक बडे़ नेता ने मोदी सरकार के बजट के प्रति नाखुशी जाहिर कर अपने तीखे तेवरों के संकेत दे दिए हंै। तेलुगू देशम पार्टी के नेता और केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री वाईएस चैधरी ने कहा कि सरकार के बजट में आंध्र प्रदेश के लिए कुछ भी नहीं है। उन्होंने कहा कि इस बजट से वह नाखुश हैं। इस बजट में रेलवे जोन, पोलवरम परियोजना के लिए पूंजी, अमरावती के लिए पूंजी और कई लटके हुए मुद्दों को लेकर कुछ नहीं है। तेलुगू देशम पार्टी प्रमुख चंद्र बाबू नायडू ने इस बारे में इतना ही कहा कि वह तभी कुछ बोलेंगे जब बीजेपी उनके साथ गठबंधन नहीं रखना चाहेगी। इससे पहले बीजेपी नेताओं के उनके खिलाफ बोलने पर उन्होंने कहा था कि वह बीजेपी के बारे में मित्रतावश कुछ नहीं कहेंगे, लेकिन उनकी पार्टी को इस बारे में ध्यान देना चाहिए। आंध्र प्रदेश के वित्त मंत्री यनमाला राम कृष्णाडू ने कहा कि राज्य सरकार बजट से खुश नहीं है। उन्होंने कहा कि हमने आंध्र प्रदेश के लिए जो कुछ भी मांग रखी थी उसे पूरा नहीं किया गया है।’
उधर, विजयवाड़ा से ऐसी खबर आ रही है कि आम बजट में आंध्र प्रदेश की उपेक्षा और अपेक्षित फंड नहीं मिलने से आहत तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) ने सहयोगी बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पार्टी के अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने शुक्रवार को पार्टी की इमर्जेंसी मीटिंग बुलाई है। उधर, पार्टी के एक सांसद ने बीजेपी के खिलाफ ‘वॉर’ छेड़ने की घोषणा कर दी है।
सूत्रों के अनुसार नायडू की बैठक में यह तय होगा कि केंद्र और राज्य में एनडीए के साथ गठबंधन जारी रखा जाए या फिर तोड़ दिया जाए। पहले ही चंद्रबाबू नायडू यह संकेत दे चुके हैं कि वह एनडीए से दोस्ती खत्म कर सकते हैं। चंद्रबाबू नायडू ने इस मीटिंग को लेकर दिल्ली में गुरुवार को अपने सांसदों से टेलिकॉन्फ्रेंस के जरिए बातचीत की। रविवार को टीडीपी के संसदीय बोर्ड की मीटिंग भी होनी है। टीडीपी के सांसद टीजी वेंकटेश ने शुक्रवार को कहा कि हम बीजेपी के खिलाफ वॉर की घोषणा करने जा रहे हैं। हमारे पास तीन ही विकल्प हैं। पहला कि एनडीए के साथ बने रहे, दूसरा हमारे सांसद इस्तीफा दें और तीसरा गठबंधन से बाहर निकल जाएं। हम रविवार को सीएम नाडयू के साथ बैठक में फैसला करेंगे। बता दें कि कुछ दिन पहले एनडीए और बीजेपी की पुरानी सहयोगी शिवसेना ने भी 2019 का आम चुनाव अलग लड़ने की घोषणा कर चुकी है।
सूत्रों के मुताबिक, चंद्रबाबू नायडू ने टीडीपी सांसदों से कहा कि बजट में आंध्र प्रदेश के लिए फंड के आवंटन से वह बेहद असंतुष्ट हैं। यह बीजेपी को तय करना है कि वह इस फैसले का कैसे बचाव करती है। हम लोग प्रदेश की जनता को बताएंगे कि कैसे बजट में आंध्र प्रदेश की पूरी तरह उपेक्षा की गई। नायडू ने सांसदों से कहा कि आंध्र प्रदेश की जनता से साथ हुए अन्याय का जवाब बीजेपी के साथ गठबंधन तोड़कर ही दिया जा सकता है। हालांकि, चंद्रबाबू ने कहा कि वह बजट सेशन तक प्रतीक्षा करने को पक्षधर हैं और पार्टी को भी इस सत्र तक का इंतजार करना चाहिए।
इससे पहले चंद्रबाबू नायडू गुरुवार शाम को अपने मंत्रियों से मिले और रेल बजट में कई अहम परियाजनाएं महाराष्ट्र को दिए जाने पर निराशा व्यक्त की। टीडीपी के प्रवक्ता जे प्रभाकर राव ने भी कहा, श्यदि ऐसी ही स्थिति बनी रही तो हमलोग बीजेपी के साथ गठबंधन जारी रखने पर दोबारा विचार करेंगे। आंध्र प्रदेश के कृषि मंत्री एस चंद्रमोहन रेड्डी ने भी कहा कि सीएम नायडू बेहद नाखुश हैं। बजट में आंध्र प्रदेश के लिए फंड आवंटन की हमें उम्मीद थी, लेकिन इसमें बेंगलुरु और मुंबई जैसे विकसित शहरों को तरजीह दी गई।
पहले ही एन. चंद्रबाबू नायडू एनडीए से नाता तोड़ने के संकेत दे चुके हैं। उन्होंने अलग होने की संभावनाओं के लिए बीजेपी को ही जिम्मेदार ठहराया था। राज्य के बीजेपी नेताओं द्वारा टीडीपी की आलोचनाओं पर चंद्रबाबू ने कहा था कि इन्हें कंट्रोल करना बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व की जिम्मेदारी है। दरअसल, पिछले महीने से आंध्र प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में इस बात की खूब चर्चा है कि क्या जगनमोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाईएसआर कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी से हाथ मिला सकती है? हालिया दिनों में वाईएसआर कांग्रेस के कई नेताओं ने बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की थी। दिसंबर के आखिरी हफ्ते में वाईएसआर कांग्रेस के सांसद वी विजयसाई रेड्डी ने पीएम नरेंद्र मोदी से भी भेंट की थी। गौर करने वाली बात यह है कि विजयसाई के बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से भी अच्छे संबंध हैं। इसके बाद से ही चर्चा चल रही है कि बीजेपी और टीडीपी के बीच संबंध अच्छे नहीं चल रहे हैं।
अब देखना यह है कि बीजेपी बजट से उपजे हालात से निपटने को क्या रणनीति अपनाती है।