झांसी: लगातार करंट देने का सरकार का वादा पूरा नहीं हो पा रहा। हां, इस करंट ने विपक्षी नेताओ को जरूर कोमा मे ला दिया है। वो जनता की इस आवाज को बोल तक नहीं पा रहे। ऐसे मे सवाल उठ रहा है कि क्या नेता केवल अपनी सरकारो के समय ही घर से बाहर आते हैं?
इन दिनो बुन्देलखण्ड मे बिजली को लेकर बुरा हाल है। सुबह, दोपहर और शाम से लेकर रात तक कितनी बार बिजली की सप्लाई बाधित होती है, यह लोगो को याद करना मुश्किल हो रहा है। बिजली कब जाएगी और कब आएगी, इसकी जानकारी विभाग को तक नहीं है। यानि कमाल का योगी राज है
पिछड़े और कमजोर बुन्देलखण्ड के दिल मंे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले चुनाव मे भरोसे का जो दीपक जलाया, उसकी लौ मे तिलंगे की तरह चिपक गये बुन्देलियांे ने जीत का बम्फर तोहफा मोदी को दिया। बुन्देलियो को लग रहा था कि हालात मे व्यापक बदलाव हांेगे।
मोदी के जादू मे डूबे बुन्देलियो की जब आंख खुली तो उन्हंे लगा कि हमे लूट लिया गया है। स्थानीय सांसद अपनी तुनकमिजाजी के चलते जनता से मिलती नहीं। उस पर तुर्रा यह हो गया कि मोदी ने उन्हे मंत्रालय पटल कर कमजोर कर दिया। झल्लायी उमा भारती अब अपने संसदीय क्षेत्र मे जनता को सजा दे रही है।
बिजली समस्या को लेकर भाजपा की बात छोड़ दे, तो दूसरे दलो के नेताआंे को भी सांप सूंघ गया है। कभी बिजली मुददे पर सड़क पर प्रदर्शन करने वाले कांग्रेसी अपने घरो मे अंधेरा होने के बाद भी खामोश है।
बात-बात पर जंग और तीखे तेवरो का हवाला देने वाल सपाई तो दुम दबाकर भाग निकले। राज्यसभा सांसद चन्द्रपाल सिंह यादव ने अपने को पार्टी के छोटे-मोटे कार्यक्रमो मे सीमित कर लिया है।
पूर्व विधायक दीप नारायण सिंह यादव यह सोच कर मजा ले रहे कि जनता ने उभे हरा दिया तो वो क्यांे बिजली मुददे पर बोले? वैसे जनता ही परेशान होती है। नेताओ को बिजली जाने या रहने से कोई फर्क नहीं पड़ता। उनके घरो मे रोशनी रहती और एसी भी चल रहा है। सत्ता हो या विपक्ष। इन नेताओ के माथे से पसीना केवल अपने स्वार्थ के लिये माथे से झलकता है। एक जनता ही है, तो हर सजा को भुगतने के लिये बनायी गयी है।