मायावती के लिये इतने खास क्यो हैं प्रत्याशी अंबेडकर!

लखनउ 12 अप्रैलः राज्यसभा के बाद विधान परिषद प्रत्याशी। बसपा के भीमराव अंबेडकर प्रत्याशी के रूप मे भले ही दूसरी पारी खेल रहे हो, लेकिन राजनैतिक गलियारे मे चर्चा है कि आखिर मायावती इन अंबेडकर पर ही दांव क्यो लगा रही हैं?

राजनीति मे अपने-पराये का भेद सबसे ज्यादा तब होता है, जब दल या व्यक्ति का हित आड़े आ रहा हो। इसके अलावा पाठ यही पढ़ा जाता कि दल के लिये सभी कार्यकर्ता है।

आज विधान परिषद चुनाव के लिये नामांकन हुआ। बसपा के लिये सपा की एक सीट की कुर्बानी मुलायम सिंह को भी पसंद आयी। इशारे मे इतना ही कहा कि अच्छी पहल  है और लोकसभा चुनाव मे मात होना मुश्किल होगा।

बसपा-सपा के गठबंधन पर मुलायम सिंह यादव की टिप्पणी से ज्यादा चर्चा इस बात की रही कि आखिर अंबेडकर पर ही दांव क्यो  लगाया गया? राज्यसभा चुनाव मे अंबेडकर हार गये थे।

अंबेडकर के प्रति मायावती के प्रेम को लेकर राजनैतिक पंडित अपने हिसाब से मायने निकाल रहे हैं। कहा जा रहा है कि मायावती के बाद बसपा के उत्ताधिकारी के रूप मे अंबेडकर को स्थापित करने की पहल है। एक अन्य बिन्दु यह उभर कर सामने आ रहा कि बसपा को आर्थिक लाभ दिलाने मे अंबेडकर के सोर्स काफी अच्छे हैं? यह बाते  राजनैतिक धरातल पर कितनी दमदार हैं, यह तो आने वाले समय मे पता चलेगा, लेकिन अभी अंबेडकर की दूसरी पारी का नतीजा सामने आने वाला है। यदि इस पारी में भी हार हुयी, तो फिर क्या होगा?

 

 

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