लखनउ 4 सितम्बरः एक दिशाहीन राजनेता सरकार का कितना नुकसान करवाता है, इसका उदाहरण झांसी के नगर विधायक रवि शर्मा से बड़ा और कोई नहीं हो सकता। विधायक ने बिना सूझबूझ का परिचय दिये नगर निगम को पानीवाली धर्मशाला की सफाई की न केवल अनुमति दे दी, बल्कि खुद भी मौके पर डटे रहे। धर्मशाला की तस्वीर तो नहीं बदली अलबत्ता सरकार के बीस लाख रूपये पानी में डूब गये। मीडिया में रिपोर्ट आने के बाद सरकार इस मामले को संज्ञान में ले रही है।
गौरतलब है कि झांसी से रवि शर्मा को इस बार दूसरी बार विधायक चुना गया है। उनकी छवि अच्छी नहीं मानी जाती है, लेकिन मोदी लहर में उन्हे जीवनदान मिल गया। सपा सरकार में विधायक रहते हुये रवि शर्मा ने नगर के विकास के लिये कोई प्लान तैयार नहीं किया। जनता को यह बताते हुये पांच साल काट दिये कि उन्हे विपक्ष में होने के कारण विकास कराने में परेशानी हो रही है। अब जबकि वो प्रदेश में भाजपा सरकार के विधायक है। उन्हांेने अब तक ऐसा कोई प्लान तैयार नहीं किया, जिसमंे विकास का मुददा नजर आता हो। अलबत्ता बीते दिनांे नगर की ऐतिहासिक कही जाने वाली पानीवाली धर्मशाला के सौंदयीकरण का मामला ऐस उछाला जैसे पानीवाली धर्मशाला विश्व के पर्यटक मानचित्र पर सबसे उपर आ जाएगी और यहां विदेशियांे का जमघट लग जाएगा। बारिश के मौसम की दस्तक से पहले पानीवाली धर्मशाला की सफाई अभियान को लेकर उनकी आलोचना भी हुयी, लेकिन उन्हांेने अपनी नादानी का परिचय दिया और आज नतीजा यह है कि वो लोगांे की नजरो में गिर गये है। विधायक ने पानीवाली धर्मशाला के सौंदयीकरण के लिये नगर निगम से करीब 20 लाख रूपये का बजट स्वीकृत कराया। इसके लिये रात दिन जेसीबी मशीन चली। कचरा निकाला गया, लेकिन बारिश के मौसम से ऐन पहले किये गये कार्य का अंजाम तक नहीं पहुंचा सके। जानकार बताते है कि विधायक का कार्य इसलिये फेल हो गया क्यांेकि उन्हांेने अपनी सूझबूझ का परिचय नहीं दिया। उन्हांेने सफाई के दौरान तकनीकि पहलुआंे को नहीं देखा और न ही प्रशासनिक अधिकारियांे की मंशा पर सवाल उठाए।
पानीवाली धर्मशाला का नगर के लिये अत्याधिक महत्व बताया जा रहा है। कभी इस धर्मशाला में रामलीला के दौरान होने वाली केवट लीला का मंचन किया जाता था। चंदेलनकालीन इस धर्मशाला में नीचे तल में कई कमरे व बरामदे बने हुये हैं। इसमंे पानी के अथाह श्रोत हैं। यदि रवि शर्मा धर्मशाला कीसफाई को लेकर नगर निगम द्वारा किये गये कार्य पर ब्रेक लगा देते और इसे अगस्त के बाद कराते, तो शायद इसके परिणाम बेहतर आते। मीडिया मंे पानीवाली धर्मशाला के नाम पर खर्च हुये बीस लाख रूपयांे की बर्बादी को शासन ने गंभीरता से लिया है। माना जा रहा है कि मुददे पर नगर निगम सहित अन्य लोगों से स्पष्टीकरण मांगा जा सकता है।यहां सवाल स्पष्टीकरण का नहीं है। बुद्विजीवी और माननीय होने के नाते विधायक के इस कदम से जनता की कमाई का पैसा बर्बाद होने का है। लोगों का कहना है कि यदि विधायक ऐसे काम करते रहे तो उन्हे मंत्री बनाने का क्या फायदा?