झांसीः इन दिनो बुन्देली माटी गजब की उत्साहित है। यहां वो शख्स आ रहा, जिसके हाथ तकदीर बदलने का माददा है। सालो से विकास की राह देख रही माटी को इस बार दगा नहीं मिले, इस भावना से माटी का मन विचलित भी हो जाता है। पर, एक उम्मीद है कि सन्त रूपी यह रहनुमा बुन्देलखण्ड के लिये भागीरथ बन सकता है?
वैसे तो बुन्देली माटी वीर सपूतो की धरती है। कला, कलम और कृपाण की धनी धरती कई दशक से वो मुकाम पाने को तरसती रही। पिछले एक दशक से अध्किा समय का दौर देखे तो यहां सियासी रहनुमाओ ने जीत के बाद केवल अपने पाले को मजबूत किया।
सत्ता पक्ष से विपक्ष के गणमान्य जनता से पास रहकर भी दूर रहे। चाहे वो चन्द्रपाल सिंह यादव हो या फिर रवि शर्मा। प्रदीप जैन आदित्य भी इससे अछूते नहीं रहे। बसपा का एक बार नुमाइन्दा मैदान मे आया, वो चंद दिनो बाद भविष्य के लायक भी नहीं रह गया। कैलाश साहू के नाम के आगे केवल पूर्व विधायक लिखकर रह गया।
आज परिस्थितयो मे जबदरस्त बदलाव है। सत्ता के की डोर केन्द्र व राज्य मे एक ही दल के हाथ है। सब कुछ देने की सामर्थ है। बस, पहल और इच्छाशक्ति से बोलने की जरूरत है।
झांसी पानी के लिये तरस रही। बात होती है स्मार्ट सिटी की। झांसी बाजार मे अतिक्रमण से परेशान है। बात होती है स्मार्ट सिटी की। झांसी स्वास्थ्य को लेकर बीमार है। मेडिकल मे मारपीट हो रही। बात होती है स्मार्ट सिटी की। झांसी मे भू माफिया मनमाने हैं। बात होती है स्मार्ट सिटी की। इन मुददो के बीच विकास कहां है, यह कोई नहीं जाता। योजनाएं धरातल पर आये, यह भाजपाई देख नहीं पाते। प्रभारी मंत्री आते है, मोती से खिलखिलाते और वापस चले जाते। बात होती है स्मार्ट सिटी की।
अतिक्रमण के लिये एक व्यापारी लड़ता है। उसे कोई सहयोग नहीं करता। बात होती है स्मार्ट सिटी की। सामाजिक संगठन के लीडर अपनी कालर उंची करने के प्रयास मे जुटे रहते। बात होती है स्मार्ट सिटी की।
बुन्देली राज्य की मांग होती है, लेकिन कोई सुनता नहीं। बात होती है स्मार्ट सिटी की। सब कुछ सबके सामने है, लेकिन कोई कुछ करता नहीं। बस, बात होती है स्मार्ट सिटी की।
माटी परेशान है। योगी की ओर देख रही कि घरेलु मुददे हल कर दे। माफियाओ पर लगाम लगे, तो आम आदमी को राहत मिले। वो नियमो से खेल रहे, जनता पर कायदे मे रहने का दवाब रहता। ऐसे मे क्या योगीजी इन मुददो पर ध्यान देगे?