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लीजिये बीजेपी के हो गए नरेश अग्रवाल की पूरी कुंडली पढ़ ले

नई दिल्ली 13 मार्चः सत्ता का स्वाद चखने के आदी हो चुके बीजेपी नेता नरेश अग्रवाल का राजनैतिक करियर टिकाउ नहीं कहा जा सकता। वो अब तक चार दल की परिक्रमा कर चुके हैं।

बीजेपी मे शामिल होने वाले नरेश अग्रवाल बीते दिनो तक सपा के खास थे। पारिवारिक कलह के दौरान नरेश ने अखिलेश यादव का भरपूर साथ दिया था। वो राज्यसभा सदस्य हैं, लेकिन अब सपा ने दोबारा भेजने के लिये मना किया, तो तत्काल पाला बदल लिया।
नरेश अग्रवाल मुलायम सिंह की सपा से पहले मायावती की बहुजन समाज पार्टी के रहे और उससे भी पहले वो कांग्रेस के टिकट पर विधायक बनते रहे. कुल मिलाकर नरेश अग्रवाल की राजनीतिक पारी काफी लंबी रही है. वो 1980 में पहली बार कांग्रेस के टिकट पर पहली बार विधायक बने. इसके बाद से उन्होंने पलटकर नहीं देखा और कई बार सपा के टिकट पर विधायक बने. इतना ही नहीं, बसपा के टिकट पर उन्होंने फर्रुखाबाद संसदीय सीट से 2009 में लोकसभा का चुनाव लड़ा, लेकिन वो जीत नहीं सके. जिसके बाद 2010 में मायावती ने उन्हें राज्यसभा का तोहफा दे दिया.



बता दें कि 1997 में नरेश अग्रवाल ने कांग्रेस पार्टी को तोड़कर लोकतांत्रिक कांग्रेस का गठन किया था. वो सूबे में कल्याण सिंह की सरकार को समर्थन देकर बीजेपी में कैबिनेट मंत्री बने. इसके बाद वो कल्याण सिंह और राजनाथ सिंह के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री रहे. इसके बाद 2003 में मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में सरकार बनी तो उसमें भी कैबिनेट का हिस्सा रहे.

यूपी में 2007 में मुलायम सिंह की सत्ता से विदाई हुई तो उन्होंने सूबे की सत्ताधारी बीएसपी का दामन थाम लिया. मायावती ने उन्हें लोकसभा चुनाव लड़ाया और राज्यसभा भेजा. इसके बावजूद वो साथ नहीं रह सके और 2012 के विधानसभा चुनाव से पहले सपा के हो गए. हाल में सपा की तरफ से राज्यसभा सांसद थे. लेकिन इस बार अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी ने उन्हें राज्यसभा सदस्य बनाने से इनकार कर दिया, तो वो अपने लाव लश्कर के साथ बीजेपी में शामिल हो गए.





68 साल के नरेश अग्रवाल यूपी के हरदोई के रहने वाले हैं और करीब चार दशक से राजनीति में सक्रिय हैं. सात बार अलग-अलग पार्टियों से विधायक रह चुके हैं.
-1980 में पहली बार कांग्रेस के टिकट पर हरदोई से विधायक चुने गए.
-1989 में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा और जीत गए.
-इसके बाद फिर से उन्होंने कांग्रेस में वापसी कर ली और 1991, 1993 और 1996 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़ा और चुनाव जीत गए.
-1997 में इसी कांग्रेस पार्टी से अलग होकर उन्होंने अखिल भारतीय लोकतांत्रिक कांग्रेस पार्टी का गठन कर लिया और 1997 से 2001 तक बीजेपी सरकार में ऊर्जा मंत्री रहे.
-इसके बाद उन्होंने 2002 का विधानसभा चुनाव समाजवादी पार्टी के टिकट पर लड़ा और जीत हासिल की. मुलायम सिंह यादव की सरकार में वो 2003 से 2004 तक पर्यटन मंत्री रहे.
-2007 का विधानसभा चुनाव भी उन्होंने समाजवादी पार्टी के टिकट पर ही लड़ा और जीत हासिल की, लेकिन सूबे में बहुजन समाज पार्टी की सरकार आई और मायावती मुख्यमंत्री बनीं.
-बसपा की सरकार आते ही नरेश अग्रवाल ने सपा छोड़ दी और मायावती का दामन थाम लिया. उन्होंने 2008 में बसपा ज्वाइन की. मायावती के साथ वो तीन साल तक रहे.
-2012 के यूपी विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने मायावती का भी साथ छोड़ दिया और फिर से सपा में चले गए. दरअसल, वो अपने बेटे नितिन अग्रवाल के लिए टिकट मांग रहे थे, लेकिन बसपा ने ऐसा नहीं दिया, जिसके चलते वो सपा के साथ चले गए.

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