टहरौली (झाँसी) – जुलाई माह आते ही टहरौली के सभी स्कूलों में पाठ्यक्रम का नया सत्र शुरू हो गया है। टहरौली में लगभग सभी विद्यालय सीबीएसई पैटर्न पर अंग्रेजी माध्यम में संचालित हो रहे हैं। टहरौली में स्कूल खुलते ही विद्यालयों के संचालकों द्वारा बच्चों के अभिभावकों पर मुंह मांगे दाम पर किताब खरीददारी का दबाव बनाना शुरू कर दिया है। कस्बा में लगभग तीन – चार ही थोक और खुदरा किताब दुकान संचालित हैं। वही प्राइवेट स्कूलों के द्वारा अपने पसन्दीदा किताब दुकानों से किताब खरीददारी का अभिभावकों को निर्देश भी दिया जाता है। इन दुकानों पर 2000 से लेकर 5000 तक अभिभावकों को किताब खरीददारी में रुपये खर्च होते हैं। अधिकांश स्कूल संचालक तो स्कूली बच्चों के अभिभावकों को अपने स्कूली संस्थाओं से ही खुदरा मूल्य पर पाठ्यक्रम उपलब्ध करवा रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि इन स्कूल संचालकों ने अपने मुनाफे के अनुसार पुस्तकों पर मूल्य भी डलवाये हैं।
टहरौली में स्कूल संचालकों द्वारा की जा रही खुली लूट का आलम यह है कि स्कूल संचालकों द्वारा चिन्हित दुकानदार एवं स्कूल संस्थानों में अभिभावकों को एक भी रुपए की छूट दिए बिना हस्तलिखित कच्चा बिल ग्राहकों को थमा दे रहे हैं। जबकि सरकार की गाइडलाइन के अनुसार खरीदारी के बाद ग्राहकों को जीएसटी बिल देना अनिवार्य है। अगर किसी ग्राहक द्वारा जीएसटी बिल की मांग कर दी गई तो उन्हें किताब तक नहीं मिलती है। कुल मिलककर प्राइवेट स्कूल संचालक अभिभावकों का शिक्षा के नाम पर पूरी तरह दोहन कर रहे है। मजे की बात यह है कि इसमें विभाग के अधिकारी भी रुचि नहीं ले रहे हैं । इस कारण किताब दुकानदारों एवं स्कूल संचालकों का मनोबल बढ़ा हुआ है। सूत्र बताते हैं कि इन स्कूल संचालकों की विभागीय अधिकारियों से भी गहरी सांठगांठ है और कमीशनखोरी का पूरा खेल अधिकारियों की जानकारी में ही खेला जा रहा है।
जब इस विषय में किताब दुकानदारों से बात की गई तो अधिकांश कुछ बताने को तैयार नहीं हुए। वहीं एक किताब दुकानदार ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि प्रत्येक वर्ष नया सत्र शुरू होने से पूर्व ही टहरौली के स्कूल संचालकों को कमीशन की मोटी रकम एडवांस में जमा करवा दी जाती है। दुकानदार ने बताया कि एक किताब पर 50 से 60 % तक कमीशन है स्कूल संचालकों का फिक्स है। तो वहीं बुक के पूरे सेट पर 60 से 65% तक कमीशन किताब के पब्लिकेशन के हिसाब से देना पड़ता है। ऐसे में किसी ग्राहक को छूट कैसे दी जाए। दुकानदार ने बताया कि कुछ स्कूल संचालकों ने तो अपने अनुसार किताबों पर दाम प्रिन्ट करवाये हुये हैं। बहरहाल टहरौली में संचालित हो रहे स्कूलों में अभिभावकों की जेबों पर जमकर डाका डाला जा रहा है।