झांसी। प्राचीन काल में संस्कारों की संख्या भी लगभग चालीस थी। जैसे-जैसे समय बदलता गया, व्यस्तता बढती गई जिस कारण संस्कार स्वतः विलुप्त हो गये। जिसे लेकर झोकन बाग स्थित एस. एम टावर संघर्ष सेवा समिति कार्यालय पर संस्थापक समाज से विलुप्त हो रहे संस्कारों को पुनः स्थापित करने हेतु गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में संस्थापक द्वारा अतिथियों को शॉल पुष्पमाला एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर स्वागत किया गया। स्वागत पश्चात कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों ने क्रमशः अपने – अपने विचार लोगों के समक्ष सांझा किए। मुख्य अतिथि समाजसेवी संघर्ष सेवा समिति संस्थापक डॉ. संदीप सरावगी ने कहा कि प्राचीन काल में हमारा प्रत्येक कार्य संस्कार से आरम्भ होता था। जैसे-जैसे समय बदलता गया तथा व्यस्तता बढती गई तो कुछ संस्कार स्वतः विलुप्त हो गये। संघर्ष सेवा समिति मानवीय कार्यों के लिए सदैव तत्पर है, हम लोग जात-पात नही मानते है, जिस समय संपूर्ण विश्व में कोरोना जैसी महामारी फैल थी उस आपातकाल की स्थिति में संघर्ष सेवा समिति ने लोगों की सहायता के लिए भोजन वितरण, दवा एवं अन्य सेवाएं जारी रखीं। हमारे संस्कार हमारे घर से शुरू होते हैं, हमे सदैव अपने बड़ों का सम्मान करना चाहिए। बुजुर्गों की सेवा करना ईश्वर की सेवा करने के समान है इसके पश्चात स्वर्णिम भारत के संस्थापक मोहित शर्मा ने कहा कि सनातन अथवा हिन्दू धर्म की संस्कृति संस्कारों पर ही आधारित है। हमारे ऋषि-मुनियों ने मानव जीवन को पवित्र एवं मर्यादित बनाने के लिये संस्कारों का अविष्कार किया। धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक दृष्टि से भी इन संस्कारों का हमारे जीवन में विशेष महत्व है। भारतीय संस्कृति की महानता में इन संस्कारों का महती योगदान है। विशिष्ट अतिथि डॉ. नीती शास्त्री ने गौतम स्मृति में चालीस प्रकार के संस्कारों का उल्लेख है। महर्षि अंगिरा ने इनका अंतर्भाव पच्चीस संस्कारों में किया। व्यास स्मृति में सोलह संस्कारों का वर्णन हुआ है। हमारे धर्मशास्त्रों में भी मुख्य रूप से सोलह संस्कारों की व्याख्या की गई है। इसके पश्चात दिनेश भार्गव ने कहा कि हमारे ऋषि-मुनियों ने मानव जीवन को पवित्र एवं मर्यादित बनाने के लिये संस्कारों का अविष्कार किया। धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक दृष्टि से भी इन संस्कारों का हमारे जीवन में विशेष महत्व है। इस मौके पर स्वर्णिम भारत से लीला सिंह, प्रेमपाल सिंह, संदीप चौधरी, संघर्ष सेवा समिति से सुशांत गेंडा, बसंत गुप्ता, महेश सेठ (मामा), संदीप नामदेव, महेंद्र रायकवार, चो. करन सिंह, मिंटू बाल्मिकी, हाजरा रब, मीना मसीह नीलू रायकवार सहित अन्य लोग मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन लीला सिंह एवं आभार जिला प्रभारी मीनू वेल्स ने व्यक्त किया।
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समाज का सबसे बड़ा विकार, परिवारों से खत्म होते संस्कार- डॉ० संदीप सरावगी रिपोर्ट: अनिल मौर्य
