समाजसेवी सैयद कल्बे हैदर आब्दी की स्मृति में हुई सर्वधर्म शांति प्रार्थना सभा

“एहसास ज़िन्दा है तो इंसान ज़िन्दा है अन्यथा मुर्दा” –मौलाना सैयद इरशाद अब्बास आब्दी   

झाँसी-सुप्रसिध्द समाज सेवी स्वर्गीय श्री सैयद कल्बे हैदर आब्दी मरहूम की चतुर्थ पुण्य तिथि (बरसी) पर उनकी रूह के ईसाले सवाब और परिवार की रूह की तस्कीन के लिये आज “सर्वधर्म शांति प्रार्थना सभा ”इमाम बारगाह नूर मंज़िल झांसी में आयोजित की गई।

जिसमें विभिन्न प्रमुख धर्म गुरुओं सर्व श्री पंडित वसंत विष्णु गोलवरकर, ज्ञानी कुलदीप सिन्ह, बौध्द भिक्षु भीखू कुमार कश्यप, मा. कैलाश जैन जी ने अपने -2 मतानुसार “ज़िन्दगी और मौत” पर प्रकाश डालते हुये परमार्थ को ही सफल जीवन का एक मात्र उपाय बताया।

संचालन करते हुये सैयद शहनशाह हैदर आब्दी ने समाज सेवी स्वर्गीय श्री सैयद कल्बे हैदर आब्दी मरहूम के जीवन पर प्रकाश डाला और कहा,’ उन्होंने सारा जीवन ‘खिदमते –ख़ल्क़, खिदमते-ख़ुदा’ के साथ सर्वधर्म –समभाव में विश्वास किया। यही कारण कि उन्होंने अपने पौत्र और पौत्री के विवाह में हर धर्म के रीति रिवाजों के अनुसार आशीर्वाद दिलवाने के उपरांत ही निकाह की रस्म पूरी की। वो कहते थे सर्वधर्म –समभाव केवल भाषणों में ही नहीं बल्कि आचरण में होना चाहिये। 

लखनऊ से पधारे मुख्य वक्ता मौलाना जनाबमौलाना सैयद इरशाद अब्बास आब्दी ने “ज़िन्दगी और मौत” पर प्रकाश डालते हुये कहा कि “एहसास ज़िन्दा है तो इंसान ज़िन्दा है अन्यथा मुर्दा”। हज़ारों लोग क़ब्रिस्तानों में सोकर भी ज़िन्दा हैं जबकि हज़ारों लोग ऐसे भी हैं जो आलीशान महलों में रहकर भी मुर्दा हैं। खुदा ने हमें खिदमते खल्क़ के लिये पैदा किया है, दूसरों का दुखदर्द बांटोगे तो ज़िन्दा होने का सुबूत दोगे, मुल्क और पडोसी से मोहब्बत करोगे तो ज़िन्दा होने का सुबूत दोगे। नेक काम करो ताकि मौत के बाद भी ज़िन्दा रहो।उन्होंने  आगे कहा,” महिलाओं को आज चरित्र निर्माण की अत्याधिक आवश्यकता है।“ क्योंकि समाज और देश के साथ धर्म की रक्षा की महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी महिलाओं पर अधिक है। केवल आधुनिकता न केवल महिलाओं बल्कि समाज और देश का भी नुक़सान कर रही है। ‘हदीसे किसा’ जनाब हाजी इं0 काजिम रज़ा ने पढी। मर्सिया ख़्वानी जनाब हाजी तक़ी आब्दी, सईदुज़्ज़मां,आबिद रज़ा, साहबे आलम, और नौहा ख्वानी मन्डला मध्य प्रदेश से पधारे जनाब इरफान काज़मी और साथियों ने की।

अंत में सभी धर्मगुरुओं ने मिलकर शांति पाठ किया और सबके किये सुख, समृध्दि, शांति और सफलता की प्रार्थना की।

“सर्वधर्म शांति प्रार्थना सभा” में शहर के प्रतिष्ठित नागरिकों, धर्मगुरुओं, समाजसेवियों, राजनीतिज्ञों, पत्रकारों, लेखकों, कवियों, वकीलों, परिवार के शुभचिंतकों, रिश्तेदारो दोस्तों और महिलाओं ने विशाल संख्या में भाग लिया। उसके बाद लंगर का भी इंतज़ाम किया गया। इस अवसर पर समाजवादी चिंतक सैयद शहनशाह हैदर आब्दी द्वारा हिंदी, उर्दू और अंग्रेज़ी भाषा में संकलित और सम्पादित पुस्तक ”आदाबे मैय्यत (शव की मर्यादा)” भी वितरित की गई। 

“सर्वधर्म शांति प्रार्थना सभा ” में सर्वश्री इं0 मुकुल सिंह, भीम प्रकाश त्रिपाठी, मोहन नेपाली, गोकुल दुबे, उदय राजपूत, शंकर सिन्ह यादव, संत राम पेंटर, सुदेश पटेल, हैप्पी चावला, राम नरेश यादव, सोहन खटीक, विनोद खुल्लर, अजय पाल, मृदुल कान्त एड., नाथूराम प्रजापति, सन्दीप कुमार, इमरान रज़ा ‘भूरे’, सुभाष वैद्य, छोटे लाल, मुख्तार रज़ा, हाजी तक़ी हसन, हाजी सईद मोहम्मद, आलिम हुसैन, शाकिर अली,सग़ीर हुसैन, ज़मीर अब्बास, वसीम रज़ा, अमीर हुसैन, जावेद अली, जमशेद अली, श्रीमती अज़ीज़ फातिमा, नफीसा फातिमा, अनवर जहां, नरजिस ख़ातून, हिना, समरा आब्दी, शीबा रिज़वी, सुल्ताना बाजी, ज्योति,मुमताज़ फात्मा, ग़ज़ल आब्दी, हयात फातिमा, कनीज़ ज़ेहरा, राज कुमारी अग्रवाल,इरशाद फातिमा, कुलसूम फातिमा, शाहिदा बेगम, ज़ाहिदा बेगम, मुशाहिदा बेगम, मंसूबा फातिमा, अमीर हैदर, ज़ामिन अब्बास, वहीद ख़ान, आर0बी0त्रिपाठी, बाक़र अली ज़ैदी,रामबाबू अग्रवाल, अब्दुल ग़फूर, सग़ीर मेहदी,रईस अब्बास, ज़ाहिद हुसैन “”इंतज़ार””,क़मर हैदर, वसी हैदर, हाजी कैप्टन सज्जाद अली, रोशन अली, अख़्तर हुसैन, नईमुद्दीन,मुख़्तार अली, ताज अब्बास, ज़ीशान हैदर,अली क़मर, फुर्क़ान हैदर, वसी हैदर, मज़ाहिर हुसैन, आरिफ रज़ा, इरशाद रज़ा, जाफर नवाब, अली समर, प्रांजुल अग्रवाल, मोहम्मद रज़ा, सबा फातिमा, अतालिक़ आब्दी, फैज़ अब्बास, अलबाश, वज़ाईम, शाहरुख़ आब्दी,सदफ, अरविन्द बुंदेला, मनोज शर्मा, आशीष पटैरिया, ज़ैनुल रज़ा, राजू आब्दी आदि के साथ बडी संख्या में श्रृध्दालु उपस्थित रहे।

आभार जनाब सैयद सरकार हैदर आबदी ने ज्ञापित किया ।                                                
 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *