झांसी। वैसे तो महीना दिसंबर का है । सर्द रात अब गहरी होने लगी है । दिन का पारा भी लुढ़का हुआ है। पारे में गरमाहट के लिए राजनीतिक गतिविधियां अपनी गर्मी से लोगों में नई चेतना का संचार करने का जिम्मा अपने कंधे पर लिए धरना प्रदर्शन और ज्ञापन देने की तैयारियों में जुटे हैं।
कोई बुंदेलखंड राज्य की मांग तो कोई उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार को लेकर निशाना साथ रहा है। आवाज आती है कि हम विपक्ष में हैं, तो चिल्लायेंगे और सरकार को घेरेंगे। अपनी आवाज जनता तक पहुंचाएंगे । मतलब साफ है सभी की निगाहें मिशन 2019 लोकसभा चुनाव पर टिकी है।
इन दिनों सर्द मौसम में राजनीतिक हलचल अपनी गर्माहट का एहसास करा रही है। आज समाजवादी पार्टी के लोगों में पैदल चल कर अपनी आवाज बुलंद की और सरकार को घेरा ।
समाजवादी पार्टी के लोगों ने ज्ञापन के माध्यम से पिछले साल 4 साल में जनता से किए गए वादों की सरकार को याद दिलाई। यह बात दीगर है कि उन्हें यह बात याद दिलाने में खुद साढे 4 साल लग गए।
ऐसा नहीं है कि अकेले समाजवादी पार्टी अपनी राजनीतिक हलचल को तेज कर रही हो, कांग्रेसी भी जनता के मुद्दों को लेकर सड़क पर है। बहुजन समाज पार्टी के लोग होटलों और अपने कार्यालय में बैठकों के जरिए मायावती का संदेश जनता तक पहुंचाने की मशक्कत कर रहे हैं । उनकी आवाज धीमी है, पहरे में है, इसलिए ज्यादा देर तक सुनाई नहीं देती है।
हर 5 साल बाद लोकसभा चुनाव होते हैं पद्मन सरकार के साडे 4 साल पूरे होने को है जांच की बात है कि अब मिशन 2019 सभी राजनीतिक पार्टियों के लिए अहम हो गया है।
सभी दल जनता के बीच अपनी बात पुरजोर तरीके से रखने की कोशिश में जुट गए हैं। इस कोशिश में उन्हें सर्दी का एहसास कतई नहीं हो रहा है, जबकि पिछले कई सालों से यही नेता जनता की परेशानियों और अपनी आवाज को मिलाने में कतरा रहे थे।
इधर सत्तारूढ़ भाजपा पीछे नहीं है। विपक्ष को घेरने के लिए बीते दिनों की भाजपाइयों ने कलेक्ट्रेट में जोरदार प्रदर्शन कर राहुल गांधी चोर के नारों से पूरा कलेक्टर को गुंजायमान कर दिया था।
दरअसल राजनीतिक दलों के इस मौसम में बाहर आने की मुख्य मायने यह है कि चुनाव लड़ने के इच्छुक नेता अपने समर्थकों के साथ अपना प्रदर्शन दिखा रहे हैं । नेता चुनावी टिकट की लाइन में लगे हैं और जनता के मुद्दों के सहारे अपनी ताकत का एहसास करा रहे हैं।
अब देखना यह है कि कौन सा नेता इस ताकत की लड़ाई में सामने आता है । जब तक टिकट की दौड़ पूरी नहीं होती है झांसी में और पूरे बुंदेलखंड मे राजनीतिक हलचल सर्द मौसम को गर्माहट प्रदान करती रहेगी।