आर्थिक विषमता की खाई को पाटने के उपाय खोजें: प्रो सुरेंद्र दुबे

बंुविवि में उत्तर प्रदेश उत्तराखंड अर्थशास्त्र संघ का सम्मेलन शुरू
झांसी। बंुदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुरेंद्र दुबे ने अर्थशास्त्रियों का आहवान किया कि वे देश में व्याप्त आर्थिक विषमता की खाई को पाटने के उपाय खोजें। उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले समय में यह विषमता दूर हो सकेगी। वे शनिवार को बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के गांधी सभागार में आयोजित उत्तर प्रदेश उत्तराखंड अर्थशास्त्र संघ के तेरहवें दो दिवसीय वार्षिक सम्मेलन के उद््घाटन सत्र में उपस्थित अर्थशास्त्रियों, विशेषज्ञों और विद्यार्थियों को संबोधित कर रहे थे।
प्रो. दुबे ने कहा कि साहित्य का अध्येता होने के कारण मेरे मन में अक्सर यह सवाल कौंधता रहता है कि देश में व्याप्त आर्थिक विषमता कम होने का नाम क्यों नहीं ले रही। देश में व्याप्त आर्थिक विषमता का जिक्र करते हुए कहा कि यहां एक तरफ अपने घर की छत पर विमान की सुविधा से संपन्न मुकेश अंबानी रह रहे हैं वहीं दूसरी ओर आर्थिक कंगाली के कारण अपने कंधे पर अपनी पत्नी की लाश ढोने को मजबूर दाना मांझी भी है। उन्होेंने अर्थशास्त्रियों का आह््वान किया कि देश में विद्यमान आर्थिक विषमता की खाई को पाटने के उपाय सरकार को सुझाएं। प्रो दुबे ने कहा कि यदि पंडित दीनदयाल उपाध्याय के सिद्धंातों पर अमल किया गया होता तो आज देश की तस्वीर कुछ और होती। पंडित दीन दयाल ने नारा दिया था कि कमाने वाला खिलाएगा। यदि उनके नारे पर अमल किया गया होता तो भारत में दाना मांझी जैसा लाचार मनुष्य कतई नहीं मिलता। उन्हांेने उम्मीद जताई कि यहां के सम्मेलन में आए अर्थशास्त्री देश के विकास के लिए सही राह सुझाएंगे। उन्होंने कर्ज के अर्थशास्त्र को बचत के अर्थशास्त्र में तब्दील करने पर जोर दिया। उन्होंने चीन का उदाहरण रखते हुए इस बात पर विचार करने की जरूरत बताई कि आखिर क्यों आज विश्व के बाजार उसके प्रभामंडल से घिरे हैं।
इससे पहले मुख्य अतिथि और यूपीयूईए के अध्यक्ष प्रो. रवि श्रीवास्तव ने अर्थशास्त्र संघ की स्थपना से लेकर अब तक हासिल उपलब्धियों का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि यह संघ 2005 में बना। वर्तमान में इसके 1500 से अधिक आजीवन सदस्य हैं। इसका पहला सम्मेलन वाराण्सी में हुआ। सन 2006 से संघ की ओर नियमित रूप से जर्नल का प्रकाशन किया जा रहा है। इसके संपादक प्रो. पीके चैबे हैं।
इलाहाबाद राज्य विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि इक्कीसवीं सदी के आर्थिक विकास का मायने बहुआयामी विकास है। अब इसमें मानव विकास के तमाम पहलुओं को भी समाहित कर लिया गया है। ऐसे में अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की चुनौतियां बढ़ी हैं। उन्होंने कहा कि आज समावेशी विकास की परिकल्पना को पूरा करने के लिए स्मार्ट इकोनामिक्स और स्मार्ट पालिटिक्स की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आज दुनिया में गुड और बैड इकोनामिक्स का संयोजन और वियोजन हो रहा है। अमेरिका की दशा का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि वहां डोनाल्ड ट्रंप के आने के बाद जो परिस्थितियां बनीं हैं उससे वैश्वीकरण के प्रयासों को धक्का लगा है। इससे कई अर्थव्यवस्थाओं पर अनेक विपरीत प्रभाव पड़े हैं।
सम्मेलन के अध्यक्ष और चैधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ के कुलपति प्रो. एनके तनेजा ने कहा कि विमुद्रीकरण और जीएसटी को लागू करने के कदम अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए ही उठाए गए हैं। बैंकों के पुनर्गठन के प्रयास भी किए जा रहे हैं जो देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावी बनाएंगे।
सम्मेलन में इंडियन इंस्टीट््यूट आॅफ फारेन ट्रेड के निर्देशक प्रो. मनोज पंत को बारहवें कौटिल्य अवार्ड से सम्मानित किया गया। उन्हें अतिथियों ने प्रशस्तिपत्र, शाॅल और श्रीफल देकर सम्मानित किया। प्रो पंत ने कहा कि तकनीकी क्षेत्र में तेजी से आ रहे बदलावों के कारण अर्थव्यवस्थाओं की चुनौतियां बढ़ी हैं। तकनीकी रोज रोज नए उत्पाद और उपकरण दे रही है। इससे बाजार की गति और दिशा दोनों पर असर पड़ रहा है। उन्होंने सन 2008 की मंदी और वर्तमान में देश की अर्थव्यवस्था के समक्ष उत्पन्न चुनौतियों को भी रेखांकित किया। इस सम्मेलन में यूपीयूईए के सचिव प्रो. एसके मिश्र ने भी विचार रखे। इस सम्मेलन मेें संघ के इकोनामिक जर्नल का विमोचन भी किया गया। कांफ्रेस में आए दो सौ शोधप़त्रों के वाॅल्यूम का विमोचन भी किया गया। संघ के सदस्यों की प्रोफाइल भी जारी की गई। इस सम्मेलन में प्रो. एसके मिश्र, डा. शंभूनाथ सिंह, डा. ओजस्विता सिंह, डा. संदंीप अग्रवाल द्वारा लिखी गई पुस्तकों का विमोचन भी अतिथियों ने किया।
सम्मेलन के आयोजक सचिव प्रो. एमएल मौर्य ने सभी अतिथियों का गरमजोशी से स्वागत किया। उन्होंने बताया कि सम्मेलन में अर्थशास्त्र के जाने माने विशेषज्ञ हिस्सा ले रहे हैं। सम्मेलन का शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। इसके बाद सभी अतिथियों का स्वागत किया गया। इस सम्मेलन में प्रो. वीपी खरे, प्रो, वीके सहगल, प्रो. एसपी सिंह, वित्त अधिकारी धर्मपाल, डा. पूनम मल्होत्रा, डा. मुन्ना तिवारी, डा. शिल्पा मिश्रा, डा. शंभूनाथ सिंह, डा. शमीम अंसारी, डा. डीके भट््ट, डा. संदीप अग्रवाल, इंजी. राहुल शुक्ल, उमेश शुक्ल, डा. मु. नईम, डा. संतोष पाण्डेय, डा. ऋषि सक्सेना, डा. फुरकान अहमद समेत अनेक शिक्षक शिक्षिकाएं उपस्थित रहे। संचालन अंकिता जे लाल ने किया। अंत में प्रो. सीबी सिंह ने आभार व्यक्त किया।

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