कितनी खामोशी मे तानाबाना बुनते हैं अमित शाह

रवि त्रिपाठी
झांसीः आप जो तस्वीर देख रहे हैं, वो सन 2013 की है। उस समय भाजपा के वर्तमान अध्यक्ष अमित शाह पार्टी के अध्यक्ष नहीं थे। उन्हे नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार चुने जाने के बाद उन्हे उप्र का प्रभार दिया गया था। अमित शाह की रणनीति के तब लोग कायल नहीं थे, लेकिन आज उनके हर अंदाज पर राजनैतिज्ञों की निगाहे लगी रहती हैं। झांसी के जीआईसी मैदान मे रैली से पहले मंच पर एकान्त मे बैठे अमित शाह का अंदाज आपको चौंका सकता है। उन्होने अपनी रणनीति का वो तानाबाना बुना कि पूरा बुन्देलखण्ड मैदान मे उतर आया था। हम आपको दूसरी तस्वीर भी दिखाएंगे।
सबसे पहले यह जानते है कि आखिर अमित शाह का दिमाग कैसे चलता है। अमित शाह से जुड़े लोगो का कहना है कि वो बहुत शान्त स्वभाव के हैं। पूरी दुनिया क्या सोचेगी और क्या असर होगा, इससे इतर अमित शाह अपनी रणनीति को अंजाम देने मे जुट जाते हैं। बुन्देली माटी मे प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी की रैली प्रस्तावित थी।

रैली जीआईसी मैदान मे होना तय थी। आपको बता दे कि रैली की जिम्मेदारी वर्तमान महामहिम रामनाथ कोविंद के कंधो पर भी थी। उन्होने महीने मे झांसी के कई चक्कर लगाये। यहां तक कि वो प्रशासन के साथ हुयी बैठकों मे भी शामिल रहे। तब वर्तमान में जिलाधिकारी तनवीर को यह आभास नहीं रहा होगा कि जिस व्यक्ति के साथ हम चर्चा कर रहे हैं, वो आने वाले दिनों मे देश के सर्वोच्च पद पर आसीन होगा। हम आपको रामनाथ कोविंद जी की प्रशासनिक अधिकारियांे के साथ वाली फोटो भी दिखाएंगे। अभी बात अमित शाह की करते हैं।

अमित शाह को जनता की नब्ज पकड़ने मे माहिर कहा जाता है। वह यह सब कैसे करते हैं? इसकी बानगी आपको इस तस्वीर मे नजर आ जाएगी। एकान्त मे पूरे मनोयोग के साथ वो अपने विचारों को क्रियान्वयन की दिशा मे लागू करने का प्लान बनाते हैं। मंच पर जिस समय अमित शाह अकेले बैठे थे, तब हमने अपने कैमरामेन से कहा कि यह शॉट बनता है। हमारे कैमरामेन ने कहा कि सर जी अकेले बैठे अमित शाह की फोटो का क्या मतलब? कैमरामेन ने यह भी सवाल किया कि क्या भीड़ आएगी? अमितजी अकेले बैठे हैं। मेरा आकलन सही था। मैंने अमित शाह का अंदाज और अदा उस समय भांप लिया था, जब वह विधायक रवि शर्मा के आवास पर पहुंचे थे। आवास पर भी अमित शाह सभी से खामोशी भरे अंदाज मे मिले। हर व्यक्तित्व को परखना और फिर से पारस बनाना अमित शाह की निगाहांे मे होता है।

रैली के प्रारंभ के कुछ घण्टों मे वाकई सन्नाटा था। बाद मे तो मानो सैलाब उमड़ पड़ा। अमित शाह के अंदाज और हमारे आकलन को कैमरामेन ने सलाम किया। आज पूरे चार साल बाद यह तस्वीर बता रही है कि अमित शाह यूं ही नहीं भाजपा के चाणक्य कहे जाते हैं।

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