झांसीः आपको याद होगा कि पिछले दिनो अखबारो मे खबर आयी थी कि उप्र व्यापार मंडल निकाय चुनाव मे सभी वार्डों से प्रत्याशी उतारेगा। यानि व्यापार मंडल चुनावी चर्चा मे अपने संगठन को इतना मजबूत मान रहा कि दावेदार जीत का आंकड़ा छू ही लेगे।
इससे इतर संगठन के मुखिया संजय पटवारी को भाजपा की शरण मे देखा जा रहा। स्वभाविक है कि संजय पर सवाल उठेगे। क्या उनमे इतनी दम नहीं कि अकेले दम पर चुनाव लड़ सके । यदि नहीं, तो फिर व्यापार मंडल को क्यो चुनाव के अखाड़े मे लाया जा रहा है?
उप्र व्यापार मंडल के प्रदेश अध्यक्ष संजय पटवारी को लेकर सवाल उठ रहे हैं। कारण एक दो नहीं, कई है। पहला यह कि क्यो संजय पटवारी राजनैतिक दल के साथ जुड़ना चाहते? क्या वो सही मायने मे राजनैतिक है? यदि हां, तो फिर व्यापारियो की राजनीति के लिये किसी दल से क्यो नहीं जुड़ते?दूसरा यह कि जब उनका संगठन देश भर मे व्याप्त है, तो उन्हंे दूसरे दल की शरण मे क्यो जाना पड़ रहा?
वैसे संजय के बारे मे कहा जाता है कि वो अतिमहत्वाकांक्षी हैं। उन्हे अपने उपर इतना गुमान है कि यदि किसी पत्रकार ने उनके विरोध मे लिख दिया, तो नाराज होने के साथ कमंेट करते है कि हमारा क्या बिगड़ा? आपको बता दे कि संजय पर व्यापारी राजनीति मे ही पक्षपात करने का आरोप लगता है।
उन्हे व्यापारी इस बात के लिये घेरते भी है कि उन्हांेने पिछले कई दशको की व्यापारिक राजनीति मे किस व्यापारी का हित किया, यह जनता को कभी बताया? संजय से जुड़ी एक घटना बताते हैं। एक व्यापारी ने उन्हे साथ देने के लिये आमंत्रित किया। उक्त व्यापारी नगर मे व्यापारियो की समस्या को लेकर संघर्ष कर रहा है।
ताज्जुब तो तब हुआ, जब संजय ने उससे कहा कि वो पूरी तैयारी कर ले । जब फोटो खिंचने का टाइम आए, तब उन्हंे बुला लेना। वैसे कुछ मीडिया का बंदोबस्त मे कर दूंगा। यानि पूरा श्रेय लेने के आदी संजय की बाते सुनने के बाद उक्त व्यापारी उल्टे पांव लौट गया। इस घटना को दो से तीन साल हो गये हैं। उक्त व्यापारी आज तक संजय के पास दोबारा नहीं गया। इसके अलावा बस स्टैंड पर फुटपाथ दुकानो के आवंटन मे भी संजय पैसांे को लेकर आरोपो मे घिरे।
आज भी उन्हांेने फुटपाथ प्रकरण ने कुछ नहीं किया।वैसे आपको बता दे कि संजय पटवारी केवल बीजेपी से टिकट की मांग नहीं कर रहे। वो कांग्रेस के भी संपर्क मे है।आपको याद होगा कि विदेश से लौटने के बाद संजय पटवारी का नागरिक अंभिनंदन किया गया था। उक्त समारोह मे मुख्य अतिथि पूर्व केन्द्रीयमंत्री प्रदीप जैन आदित्य थे। पूरा कार्यक्रम कांग्रेस मय सा था। तब चर्चा रही थी कि प्रदीप जैन जल्द ही संजय को किसी बड़े पद के लिये दावेदार बना सकते हैं।
आज भी कांग्रेस से उम्मीदे कायम हैं।दूसरे दावेदारो के बीच संजय पटवारी का प्रदर्शन केवल अपने चेहरो के इर्दगिर्द रहा। बरहाल, राजनैतिक महत्वकांक्षाओ को पालने वाले संजय क्या अपने लिये सभासद जिता पाएंगे या फिर मेयर के दावेदार बनने के लिये राजनैतिक दलो के तलबे चाटते रहेगे?