लखनउ 13 सितम्बरः भाजपा को अतिआत्मविश्वास हो गया है या फिर उसके रणनीतिकार दिमाग से काम नहीं कर रहे। केवल अमित शाह और नरेन्द्र मोदी के सहारे सत्ता सुख भोगने को बेताव भाजपाईयो ने इलाहाबाद मे अपनी नाक कटवा ली। यहां पार्टी बिना चुनाव लड़े सपा से हार गयी। एक भी रणनीति काम नहीं आयी।
ताजा मामला कहे या फिर भाजपा की बिगड़ती राजनैतिक स्थिति। इलाहाबाद के मांडा मे ब्लाक प्रमुख की कुर्सी पर सपा का कब्जा है। इसे हासिल करने के लिये भाजपा ने प्रत्याशी मैदान मे उतारा था। यहां सपा की सरोज यादव का कब्जा है। सरोज को हटाने के लिये भाजपा ने अविश्वास प्रस्ताव लाया।
इसके लिये भाजपा ने निशा यादव को मैदान मे उतारा था। क्यांेकि सब कुछ वोटिंग के आधार पर होना था, इसलिये सभी लोग भाजपा प्रत्याशी का इंतजार करने लगे। काफी देर तक भाजपा प्रत्याशी निशा यादव नहीं पहुंची। इस पर सरोज की गददी सलामत रही। गौरतलब है कि निशा ने ही पिछले चुनाव मे सरोज को कड़ी टक्कर दी थी। अब भाजपा यह नहीं समझ पा रहे कि आखिर निशा मैदान से क्यो भागी।
भाजपा कीरणनीति फेल होने से पार्टी की किरकिरी हो रही है। बड़े नेता भी नाराज हैं।
याद दिला दें कि इससे पहले जिले के होलागढ़ ब्लॉक में प्रमुख की कुर्सी हथियाने के लिए भाजपा ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। भाजपा की यहां जीत तय मानी जा रही थी। लेकिन मेन मौके पर सपा प्रमुख श्रद्धा तिवारी, राजा भैया के शरण में पहुंचीं। जिसके बाद पूरा सियासी समीकरण ही बदल गया और फिर से होलागढ़ की कुर्सी सपा के ही खाते में बनी रही। वहीं सबसे बड़ा झटका तो डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के गढ़ में मिला था। जब जिला पंचायत अध्यक्ष की सीट से भाजपा को हाथ धोना पड़ा था। इस चुनाव में केशव की बेहद नजदीकी और चुनाव से पहले अध्यक्ष रहीं मधु वनस्पति भाजपा की ओर से चुनाव में थी। लेकिन भाजपा का कमल नहीं खिला सकीं और सपा प्रत्याशी से एकतरफा चुनाव हार गई थीं।