झांसीः अब बाकी का क्या होगा सरदार?

झांसीः बहुत अरमान थे दिल में । निकले, तो एक-एक करके दम तोड़ गये। जीहां, बीजेपी से मेयर पद के लिये डिमांड कर रहे दावेदारों को लेकर बाजार में  चर्चा है। इसमें  जितना माइलेज रामतीर्थ सिंघल को नहीं मिल रहा, उससे कहीं ज्यादा टिकट न पाने वालो को मिल रहा। वो भी अपने-अपने अंदाज में ।

कहते है कि बाजार में  सब कुछ अपने हिसाब से चलता है। लोकतंत्र में  जब चुनावी मौका हो, तो लोग दिल की बात और पुराने हिसाब को लेकर बैठ जाते है। मौका मिला नहीं, कि चला दिये जुबां के तीर।

इन दिनो  बाजार में  भाजपा से बाकी बचे दावेदारो  को लेकर चर्चा चल रही है। सबसे ज्यादा खिंचाई भाईजी की हो रही। भाईजी नहीं समझे। अरे, प्रदीप सरावगी। प्रदीप पिछले दो तीन दिन से झांसी में  थे। टिकट वितरण का काम लखनउ में  हो रहा था और महाशय झांसी में । आज लोगों  ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी। बोले- भाईजी तो स्वयं भू प्रत्याशी घोषित हो गये थे। बाजार में  हवा फैला दी थी कि हमई है असली दावेदार।

अपना नंदू बाजार में  चर्चा सुनने में  व्यस्त था। एक बोला-अकेले प्रदीप ही थोड़े दावेदार हते। अनूप अग्रवाल, संतोष गुप्ता, संजीव ऋंगीऋषि, संतोष सोनी, अमित साहू, सुबोध गुबरेले, राकेश गुप्ता।

नंदू कुछ समझे। उ के पहले दूसरो बोल पड़ो। अरे, हम इन नेतन की नई कै रयै। हम तो उनकी बात कर रहे, जो सर्किट हाउस में  आवेदन करने पहुंचे थे। चुनाव से पहले बाजार, हर प्रोग्राम में नजर आ रहे थे। अरे, मन मोहन गेड़ा, संजय पटवारी, आनंद अग्रवाल। नंदू बोला-सई पकरे हैं।

तीसरो बोल परो। अरे, का बताएं। पटवारी को तो पसरी थाली चहिये। वे अपने को प्रधानमंत्री से कम समझत का। उनकी तो वो हालत है कि सूत ना कपास, हवा में  लठमलटठा!

इतनी कैयन के साथ ही तीसरे से नंदू से सवाल कर धरौ। बोलो-काय जूं हम का कछू गलत कै रयै। प्रदेश लेवल के नेता हो। झांसी में  सबरे व्यापारी तुम्हाय। फिर काय, टिकट मांग रयै। सीधे मैदान में  आ जाते। दूध को दूध और पानी को पानी हो जातौ।

तीसरे की बात में  दम हती सो नंदू आगे बढ़ लियो। सभ्य इलाके में  पहुंचे नंदू के कानन में  जो बात परी, तो वो बेहोश होन से बच गयौ।

कोई कह रयौ थौ। मन मोहन गेड़ा अब फोटो सहित छपेगे या दुकान पर बैठे? उनके घर बारे तो बहुतई परेशान हुयै। नंदू ने सिर हिलाया और आगे निकर गऔ।

फिलहाल, बुन्देली लोगों  की बाते  जारी हैं। बाकी को लेकर आज कल तक चर्चा होगी। बाद में  वे दोबारा तैयारियों  में  जुटेगे। हां, यह सच है कि कुछ दावेदार केवल अपनी पहचान बढ़ाने के लिये आवेदन करने पहुंचे थे?

 

 

 

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