झांसीः किसकी जीत मे लगेगा बाहरी भीड़ का तड़का!

झांसीः चुनाव मे  अक्सर बाहरी समर्थको  का नगर मे  जमावड़ा हो जाता है। लोकसभा चुनाव मे  देखा भी गया था। प्रत्याशियो  ने आरोप लगाये थे कि बाहर के लोग यहां आकर बस गये हैं और चुनाव मे  गड़बड़ी कर सकते। इन बाहरियो  को चुनाव मे  क्यांे प्रयोग किया जाता और इनका कितना असर होता है। इस बात पर मंथन करने वाले आज भी नतीजे पर नहीं पहुंच पाये हैं। हां, बाहरी लोगो  के प्रवेश की प्रक्रिया जरूर शुरू हो गयी है।

अब चुनाव भीड़ तंत्र का होने लगा है। भीड़ तंत्र हवा का रूख बदलने मे  सहायक होती है, इस फार्मूले पर चलने वाली भाजपा अपनी रणनीति को अंजाम तक पहंचाने मे  कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती।

इन दिनो  नगर मे  बाहरी कहे या फिर अपने मिलने वाले। सैकड़ांे की तादाद मे  विभिन्न मुहल्लो मे  समा गये हैं। कुछ पार्टी कार्यालयो  मे  डट गये, तो कुछ होटलो  मे । यह तंत्र किस प्रकार काम करेगा। इसको लेकर मार्केटसंवाद ने पड़ताल की।

बताया जा रहा है कि भीड़ मे  शामिल किये जाने वाले लोगो  को अलग-अलग क्षेत्रों मे  भेजने के साथ जनसंपर्क का हिस्सा बनाया जाता है। इसके अलावा राजनैतिक दलो  के पक्ष मे  प्रचार करने के लिये माउथ पब्लिसिटी का काम करती हैं यह भीड़!

वैसे बुन्देली माटी मे  भीड़ तंत्र पर चुनाव जीतने की परंपरा नहीं है। यहां व्यक्तिगत और दलीय आधारित वोटिंग की परंपरा चली आ रही है। राजनीति मे  इस परंपरा के साथ भीड़ तंत्र का प्रवेश नया प्रयोग है।

पैसा और व्यवहार के दम पर भीड़ को नियंत्रित करना और उसका लाभ लेना हर किसी के वश की बात नहीं। सूत्र बताते है कि कुछ राजनैतिक दलो  के लोग अभी से नगर मे प्रवेश कर गये हैं। हालांकि इनकी संख्या ज्यादा नहीं है। माना जा रहा है कि मेयर पद के लिये पार्टियां अपने नेताओ  और व्यक्तिगत व्यवहार के साथ जातीय समीकरण फिट करने मे  ज्यादा रूचि ले रहे हैं।

देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह भीड़ किसी दल, व्यक्ति या संगठन के लिये कारगर साबित हो सकती है?

 

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