झांसीः क्या राहुल सक्सेना की राह इतनी आसान है?

झांसीः लगभग दो पाले वाली सपा मे उपर से कूदे राहुल सक्सेना के मेयर प्रत्याशी बनने के बाद क्या उनकी राह मे  हर कदम पर बड़े सपाई मौजूद रहेगे? क्या झांसी मे  जनाधार की तलाश करने वाली पार्टी इतिहास रच सकेगी? क्या कमी रह गयी जो हरभजन को दावेदान नहीं माना गया? यह कुछ ऐसे सवाल थे, जिन्हंे आज सपाईयो  के सामने उठाया गया, तो सभी बगलें झांकने लगे।

यानि एक ही जवाब ऑल इज वेल!निकाय चुनाव मे  इस बार समाजवादी पार्टी पूरी ताकत के साथ मैदान मे  आने का दावा कर रही है। राज्यसभा सांसद चन्द्रपाल सिंह यादव के साथ प्रत्याशी राहुल सक्सेना और पूरी टीम ने पत्रकारो  को आश्वस्त करने की कोशिश की कि हम जीत कर रहेगे, लेकिन कई सवालो के जवाब नहीं देने से शंकाओ  ने अपना घर पार्टी के किसी कोने मे  जमा हीलिया।

मसलन, क्या कारण रहा कि हरभजन कोरम पूरा नहीं कर सके? क्यो  राहुल सक्सेना को वरीयता दी गयी? झांसी शहर मे  अबतक जनाधार बढ़ाने के लिये कौन से प्रयास किये गये? चुनाव मे  किस प्रकार की रणनीति रहेगी?इन सवालो  के जवाब वैसे तो आसान नहीं थे, लेकिन बड़े नेताओ  को हंसीखुशी के मौके पर तनाव पसंद नहीं होता।

हंसकर बात टाल दी। आप समझ सकते है कि नेताओ  की हंसी कितनी खतरनाक होती है?समाजवादी पार्टी से मेयर पद के प्रत्याशी बनाये गये राहुल सक्सेना के साथ पार्टी के नेताओ  की बैठक हुयी। सभी ने पूरा दावा किया कि जीत हमारी ही होगी।इसके बाद सभी पत्रकारो  से मिले और वही राग दोहराया। जब सवालो  की बारी आयी, तो सभी हंसने के सिवाय कुछ नहीं कर पाये।

दरअसल, सपा का झांसी शहर मे जनाधार को लेकर हमेशा संकट का दौर रहा। शायद यही कारण रहा कि चन्द्रपाल सिंह यादव और दीप नारायण यादव जैसे सपा के दिग्गज नेता भी झाँसी  से विधानसभा या अन्य चुनाव मे  अपनी दावेदारी पेश नहीं कर पाये।

पिछला इतिहास बताता है कि अस्फान सिददीकि, ओम प्रकाश अग्रवाल बाबा को अपने बूते पर संघर्ष करते हुये चुनाव की रेस मे  रहना मुश्किल हो गया था।पिछले चुनाव मे अस्फान सिददीकि ने अपनी पूरी ताकत लगा दी थी, इसके बाद भी वो दूसरे पायदान तक नहीं पहुंच सके।यहां सवाल है कि कौन सी परिस्थितियो की दम पर सपाई जीत का दावा कर रहे हैं?

अपनी रणनीति मे  क्या खास है, जो जनता को बताने से कतरा रहे हैं? इसके अलावा एक अन्य सवाल जो जनता को परेशान कर सकता है कि राहुल सक्सेना को कैसे पहचाना जाएगा? क्यांेकि नगर मे  उनकी सामाजिक, राजनैतिक और अन्य सेवाओ  का ज्यादा प्रसार नहीं हो सका।बरहाल, अभी चुनाव का पहला पड़ाव है।

नामांकन से लेकर बूथ लेवल पर तैयारियां अंतिम चरण मे  पहुंचेगी। इसके बाद ही तय होगा कि चुनाव के बाद राहुल सक्सेना किस स्थिति मे  नजर आते हैं?

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