झांसीः डमडम, अब क्या बचा दम ?

झांसीः भले ही यह प्रचारित किया जा रहा हो कि बसपा से मेयर पद के लिये बृजेन्द्र व्यास उर्फ डमडम महाराज का टिकट फाइनल हो गया है, लेकिन पार्टी सूत्र बता रहे है कि अभी यह तय नहीं हुआ है। केवल चर्चा है। इस बीच यह सवाल भी है कि क्या डमडम मे अब वो दम रहा? बसपा मे  वैसे कुछ ठीक नहीं चल रहा है। कल ही पार्टी ने मेयर पद के दावेदार नरेन्द्र झां को पार्टी से निकाल दिया।

उन्हांेने यह आरोप लगाया कि पचास लाख रूपये मांगे गये थे। इसके चलते उन्हे  पार्टी से निकाला गया। उनका टिकट अब डमडम को दिया जा रहा है।आज नगर में यह खबर चर्चा मे  रही कि डमडम का टिकट हो गया। वहीं डमडम का कहना है कि वो पार्टी के सिपाही है और पार्टी जो आदेश करेगी वैसा करेगे।

अभी उन्हंे प्रत्याशी बनाये जाने की जानकारी नहीं है। कल शायद पार्टी एलान करेगी।इधर, पूर्व विधायक डमडम महाराज का ग्राफ काफी तेजी से गिरा है। किसी जमाने मे  हर दिल अजीज होने वाले डमडम अब तन्हा रहना पसंद करने लगे हैं।लगातार राजनैतिक बदलाव की पारियो  ने उनकी राजनैतिक छवि को धुंधला कर दिया है।

बसपा से कांग्रेस फिर बसपा। इसके अलावा हर बार चुनाव मे  उतरने की उनकी मंशा आम आदमी को विश्वासनीयता के पैमाने पर तोल रहा है।डमडम ने जब विधानसभा का चुनाव लड़ा था, उस दौरान जनता मे  डमडम के प्रति क्रेज था। अपने राजनैतिक करियर मे  उफान पर चलने वाले डमडम ने निर्दलीय से दलीय होते ही अपने उफान को शान्त कर लिया।

वह किसी तरह जुगाड़ लगाकर बसपा मे  वापस तो आ गये हैं, लेकिन अब उन्हे पार्टी मे  ही वरीयता नहीं मिलती? पार्टी मानकर चलती है कि डमडम का क्या है, बहनजी जब चाहे बाहर का रास्ता दिखा दंेगी।

ऐसा इसलिये क्यांेकि डमडम पार्टी मे  विश्वासनीयता के पैमाने पर नहीं आते?बरहाल, बसपा के गिरते जनाधार के बीच डमडम पर यदि दांव लगाया जाता है, तो जानकार मानते है कि यह दूसरी पार्टियो  को वाकओवर देने जैसा होगा? ब्राहमण वर्ग मे  डमडम की पकड़ नहीं मानी जाती। इसके अलावा उनका मुस्लिम समर्थन उन्हे  दूसरे नेताओ  के मुकाबले कहीं कमजोर कर देता है।

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