झांसी निकाय चुनावः अभी तो विद्रोह बाकी है मेरे दोस्त!

झांसी: कहते है कि महत्वाकांक्षाएं जब सिर चढ़कर बोलने लगे, तो समझो कि विद्रोह के हालात बनना मुमकिन है। निकाय चुनाव मे  हर किसी को जीत आसान लग रही। बस, एक ही ख्वाहिश है कि बीजेपी से सिंबल यानि चुनाव चिन्ह मिल जाए।

नहीं मिला तो? तो क्या, मैदान मे  आएंगे। चाहे अकेले ही क्यों  न आना पड़े।यह हालात इन दिनो  नगर मे  उस संकट के बादल की तरह छाये हुये हैं, जो जरा सी गलतफहमी या संवादहीनता के चलते बरस सकते हैं।

विद्रोह के यह बादल बरसे, तो यकीन मानिये राजनैतिक ही नहीं, प्रभावशाली लोगो  को भी वोटों के लाले पड़ सकते हैं।नगर निगम मे  60 वार्ड है। हर वार्ड मे  वर्तमान सभासद से लेकर अन्य दावेदार मैदान मे  हैं। लगभग सभी ने ताल ठांेक दी है।चूंकि सोशल मीडिया बड़ा प्लैटफार्म बन गया है, इसलिये दावेदार अपनी सक्रियता बनाये हुये हैं।

बाजार मे  चर्चा तेज है। यह चुनाव अपनो  के बीच का है। अपनों  को लेकर जमकर संवाद हो रहा। कौन अच्छा और कौन बुरा के साथ छवि को लेकर टिप्पणी हो रही हैं। इससे इतर दावेदार अपने गुन्ताड़े मे  लगे हैं।

कभी रवि शर्मा विधायक, कभी राजीव सिंह पारीछा विधायक, कभी महानगर अध्यक्ष प्रदीप सरावगी, कभी जवाहर लाल राजपूत। वहीं सपा मे चन्द्रपाल सिंह यादव राज्यसभा सांसद, पूर्व विधायक दीप नारायण सिंह यादव, जिलाध्यक्ष छत्रपाल सिंह, एमएलसी प्रतिनिधि आर पी निरंजन। कांग्रेस मे  पूर्व केन्द्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य। बसपा मे  सीधे लखनउ मायावती की शरण मे ।

दावेदार कमोवेश यही उलझे हुये हैं। सभी टिकट मिलने का दावा और आश्वासन के बीच झूल रहे हैं।विद्रोही चिंगारी मेयर पद की दावेदारी के बाद सामने आ सकती है। माना जा रहा है कि भाजपा मे  प्रदीप सरावगी को लेकर सबसे ज्यादा असंतोष है। उनके प्रत्याशी बनाये जाने पर एक दो दावेदार निर्दलीय तौर पर मैदान मे  आने को तैयार हैं।

सपा मे  भी यही स्थिति है। साहू, वैश्य और यादव वर्ग से टिकट की दावेदारी है। पार्टी के अंदर इस बात की जानकारी है कि टिकट सही नहीं दिया गया, तो हालात विकट हो जाएंगे। हर भजन साहू दावेदारी मे  सबसे आगे हैं, लेकिन दूसरे उन्हे  पसंद नहीं कर रहे। बसपा मे  खींचतान इस बात की है कि जो पैसा लगा रहा, उसे टिकट नहीं मिला, तो पार्टी को सार्वजनिक रूप से एक्सपोज कर दिया जाएगा।

यहां नरेन्द्र झां, डमडम, सुशीला दुबे, कपिल रेजा मैदान मे  हैं।यानि दल और निर्दलीय मे  फाइट कमजोर नहीं होगी। दल के लोग इस झांसे मे  ना रहे कि उन्हे  पार्टी सिंबल जिता सकता है।

अंदर की आग अपने ही घर को जलाने के लिये काफी होगी।

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