मिलिए अपने लिये मिले दान को बेटियांे के विवाह मे देने वाले आचार्य मनोज चतुर्वेदी से

झांसीः ईश्वर आपको समर्थ बनाता है, तो जाहिर है कि उसकी मंशा आपसे समाज सेवा की होगी। बहुत कम लोग होते है जो दान की गयी वस्तुओ को दूसरांे के हित मे लगा दंे। आज हम आपको नगर के एसे महान कथा वाचक से मिलाने जा रहे हैं, जिन्हांेने लोगों का दिया गया दान धरती की सबसे अनमोल कृति बेटियो के विवाह मे लगा दी। हमारे संवाददाता देवेन्द्र कुमार व रोहित जाटव ने मनोजजी से बात की।

मूलतः टोडीफतेहपुर,झांसी के रहने वाले आचार्य मनोज चतुर्वेदी का स्वभाव सरल है।बातचीत के सिलसिले को आगे बढ़ाते हुये मनोज ने बताया कि प्रारंभिक शिक्षा के बाद उन्होने आचार्य, शास्त्रीय की उपाधिक संपूर्णानंद विश्वविद्यालय वाराणसी से ली। उन्होने 12 साल की आयु से ही कथा वाचन का काम शुरू कर दिया था। प्रभू के प्रति भक्ति और मानवजाति के कल्याण की भावना से ओतप्रोत मनोज चतुर्वेदी अब तक 300 से अधिक कथा कह चुके हैं। उन्हें पूरे देश मे कथा वाचन के लिये आमंत्रित किया जाता है।

मनोज जी ने बताया कि उन्हें हर रोज दान मे बहुत सारी चीजंे मिलती हैं। वह इन वस्तुओ को सहेज कर रखते हैं। इन्हंे कन्याओ के विवाह मे दे दिया जाता है। इससे गरीब कन्याओ को सामान मिल जाता है और दी गयी वस्तु का सही उपयोग हो जाता। हमारी सोच यह है कि जो व्यक्ति श्रद्वा के साथ वस्तु का दान कर रहा है, उसे बेचना नहीं चाहिये।

मनोज चतुर्वेदीजी की प्रतिभा का कमाल है कि उन्हे बड़े-बड़े संत सम्मानित कर चुके हैं। उन्हे संत करैल वाले बाबा ने बाल व्यास की उपाधि से सम्मानित किया।1996 में संत समाज के अध्यक्ष अमरदासजी महाराज शिवपुरी ने सरस्वती पुत्र की उपाधि से सम्मानित किया। सन 2000 मे मंेहदी बाग के महन्त रामप्रिय दासजी ने कथा शिरोमणि की उपाधि से सम्मानित किया।

इसके अलावा कई और संतांे ने उन्हे सम्मानित किया। मनोज का कहना है कि वो जिस समय कथा कह रहे होते हैं, और जो भी भक्त पंडाल मे आता है, वो भगवान स्वरूप होता है। आज लोगों को धार्मिक दृष्टि को व्यापक बनाते हुये अपने परिवार व समाज की रक्षा के लिये ईश्वर का चिंतन करते रहना चाहिये।

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