यजीद जब्र का पुतला, हुसैन सब्र के पैकर : मौलाना अज़ीज़ निजामी रिपोर्ट:8318270566 अनिल मौर्य

झांसी। मदरसा अल जामियातुल राज्जाकिया सोसायटी आस्ताना-ए- सरकारे बांसा व अपिया हुजूर महाराज सिंह नगर पुलिया नंबर 9 झांसी में सूफी मुहम्मद अफराज हुसैन सिद्दीकी कादरी रज्जाकी नियाज़ी की सदारत में हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी एक मुहर्रम से ग्यारह मुहर्रम तक शहादत-ए-इमाम हुसैन, पैगाम-ए-कर्बला कांफ्रेंस का आयोजन किया गया। इस दौरान इमाम हुसैन की जिंदगी और इस्लाम को बचाये रखने की फजीलत बयान की। उलेमाओं ने इमाम हुसैन की जंग को बताया उन्होंने ने मुल्क या हुकूमत के लिए जंग नहीं की, बल्कि वह इंसानों के सोये हुए जेहन को जगाने आए थे, इस जंग में शामिल बूढ़े,जवान, बच्चे और औरतों ने खुद पर जुल्म सहन कर लिया, लेकिन पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के दीन-ए-इस्लाम को जालिम यजीद से बचा लिया। कि ये इकत्दार की जंग नहीं थी अकदार की जंग थी। दो शख्सियत की लड़ाई नहीं थी दो नजरियात का टकराव था। ये हक और बातिल का मारका था। यजीद ज़ुल्म का इस्तयारा है। हुसैन इब्ने अली अमन की आलामात है। यजीद जब्र का पुतला हैं। हुसैन सब्र के पैकर है। करीब 1400 साल पहले इराक में एक जंग लड़ी गई थी, जिसे कर्बली की जंग या जंग ए कर्बला के नाम से जाना जाता है

शहादत-ए-इमाम हुसैन पैगाम-ए -कर्बला कांफ्रेंस में हाफिज व मौलाना अजीज निजामी ने बताया कि करीब 1400 साल पहले इराक में एक जंग लड़ी गई थी, जिसे कर्बला की जंग या जंग ए कर्बला के नाम से जाना जाता है, इस जंग का मुख्य कारण था एक बादशाह यजीद , यजीद की हुकुमत ईराक, ईरान, यमन, सीरिया के कई इलाकों में था और वो लगातार इंसानियत के खिलाफ फरमान जारी कर रहा था , कहा जाता है कि उसने अपने हुकुमत के विस्तार के लिए हजरत इमाम हुसैन से आपनी बैत कराना चाहता था इसको हजरत इमाम हुसैन ने स्वीकार नहीं किया यह कहते हुए के एक जालिम फातिल के हाथों में हाथ नहीं दे सकता । उससे जंग लड़ी, इसी लड़ाई का नाम जंग ए कर्बला है।
इस अवसर पर शहर काजी मौलाना हाशिम , कारी अबरार, हाफिज कारी जमील साहब पेश इमाम मदीना मस्जिद, मुफ्ती इमरान, हाफिज सलीम अहमद, हाफिज रिजवान अशरफी, हाफिज सलमान, हाफिज मुबारक अली ने शहादत ए इमाम का जिक्र किया। इस अवसर पर सैय्यद बशारत अली, अब्दुल रहमान, आदिल, अब्दुल वाहिद, अलीम मास्टर, सुल्तान, सादिक, आरिफ खान, मेहताब, सलीम, राम सहाय, इंतजार अली, शफीक खान , हाजी नईम कुरैशी , फैजान, कदीम अहमद, मुहम्मद अली, अब्दुल गनी, सिराज, संजय, आशिक, आसिफ, अरबाज, हाजी सलीम, बबलू भाई, मुमताज मास्टर मौजूद रहे। निजामत हाफिज मो अज़हर ने की।

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