झाँसी-स्कूली बच्चों को ले जाने के मानक आखिर कब लागू होंगे? रिपोर्ट -सतेंद्र मिश्रा

झांसी । जिला प्रशासन की नजरों में स्कूली बच्चों को शीत लहर का आभास जल्दी हो जाता है, लेकिन बच्चे किन हालातों में स्कूल जाते हैं, वाहनों के लिए बनाए गए मानक को देखने का जिला प्रशासन के पास समय नहीं है। यही कारण है बच्चे टैंपू में भूसे की तरह भरे जाते।
झांसी में नौनिहालों की हालत सुबह स्कूल जाते समय देखने लायक होती है। सर्दी के मौसम में टेंपो में भूसे की तरह भरे नजर आते हैं अंग्रेजी स्कूल हो या फिर बड़े हिंदी स्कूल। इन स्कूलों में बच्चों को ले जाने के लिए टेंपो टैक्सी साधन के रूप में होते हैं ।

शासन प्रशासन की ओर से टेंपो टैक्सी में बच्चों को ले जाए जाने के लिए कई प्रकार के मानक बनाए गए हैं। इनमें सुरक्षा के लिए जालियां और बच्चों की संख्या का निर्धारण भी किया गया है।

बीते दिनों यातायात विभाग ने सिपरी बाजार में बच्चों को ले जा रहे वाहनों की जांच की थी। इसमें अधिकांश वाहन मानक का पालन नहीं कर रहे थे । आरटीओ विभाग स्कूलों को केवल एडवाइजरी जारी कर अपने इतिश्री कर लेता है। स्कूली बच्चे आज भी टेंपो टैक्सी में असुरक्षा के माहौल में घर से स्कूल और स्कूल से घर आते हैं।

यहां सवाल यह है कि जिला प्रशासन आखिर स्कूली बच्चों के लिए निर्धारित किए गए मानक का पालन करने के लिए वाहन चालकों को बाध्य क्यों नहीं कर पाता है।

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