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शिखर पर पहुंचने के सपने बिखरे , माया और अखिलेश का अब क्या होगा?

नई दिल्ली 23 मई । लोकसभा चुनाव 2019 के परिणामों में राजनीतिक गलियारे में एक बड़ा जबरदस्त बदलाव किया है । इस बदलाव में देश के दो बड़े राज्य से कई राजनीतिक दलों का भविष्य अधर में लटक गया है । यानि इन दलों के सामने आने वाले समय में खुद को राजनीतिक तौर पर स्थापित करना लगभग नामुमकिन नजर आने लगा है । उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की जिस गठजोड़ को भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती माना जा रहा था,

वह चुनावी नतीजों के बाद अपने ही कुनबे को बचाने के संकट में घिरा नजर आ रहा है । अखिलेश और मायावती की राजनीति शिखर पर पहुंचने की बजाय धरातल से नीचे जाति नजर आ रही है।

यूपी ही नहीं बिहार में भी एनडीए के लिए यही बात कही जा रही थी क्योंकि आरजेडी, कांग्रेस, एनडीए के पूर्व साथी आरएलएसपी सब साथ आए लेकिन नतीजा सबके सामने है. आज जो नतीजे सामने आ रहे हैं उससे एक बात तय हो गई है कि बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी ने सभी समीकरण ध्वस्त कर दिए है.

इतना ही नहीं हमेशा के लिए इन दो राज्यों की राजनीति भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बदल दी तो गलत नहीं होगा।

अब जबकि बीजेपी 56 सीटों पर आगे है तो एक बात साफ तौर पर कही जा सकती है कि मोदी ने आने वाले समय के लिए यूपी की राजनीति बदल कर रख दी है. क्योंकि इस बार दो दल साथ आकर भी कुछ नहीं कर पाए।

उत्तर प्रदेश में जिस तरह से भाजपा ने प्रदर्शन किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जादू के आगे दोनों दलों के सारे जाति समीकरण बिखर गए उससे साफ है कि आने वाले समय में इन दोनों दलों की मुखिया राजनीतिक तौर पर स्थापित होने की जद्दोजहद करते नजर आएंगे।

महागठबंधन बनने के बाद अखिलेश यादव ने चुनावी प्रचार में चौकीदार से लेकर ठोकिदार तक का नारा देकर प्रदेश की राजनीति में अपने गठबंधन को चमत्कारी बनाने की भरपूर कोशिश की। इतना ही नहीं मायावती के दम पर यह सोचा गया कि दोनों दलों के वोटों का मिलन 40% के करीब पहुंचने पर बीजेपी प्रदेश से आउट करने में पूरी मदद मिलेगी, लेकिन मोदी के जादू में इन दलों के सभी समीकरण धराशाई हो गए।

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