नई दिल्ली 14अक्टूबरः पूर्व राष्टपति प्रणब मुखर्जी ने अपनी किताब मे कई रहस्यो को खोला है। एक पन्ने मे उन्होने लिखा कि मुझे लगा कि सोनिया गांधी मुझे पीएम और मन मोहन सिंह को राष्टपति बनाना चाहती है।
बीते शुक्रवार को उक्त किताब का विमोचन हुआ था। मुखर्जी ने लिखा कि 2 जून को सोनिया गांधी के साथ उनकी बैठक हुयी।
इसमे हमने सभी मुददो पर चर्चा की। यूपीए के राष्टपति पद के प्रत्याशियो को लेकर चर्चा हुयी। सोनिया ने कहा कि आप सबसे काबिल उम्मीदवार है, लेकिन सरकार चलाने मंे आपकी भूमिका अहम है। इसको नहीं भूलना चाहिये। आप विकल्प सुझाएंगे।
मुखर्जी ने कहा कि उन्हे लगा कि सोनिया गांधी मुझे पीएम व मनमोहन सिंह जी को राष्टपति बनाना चाहती हैं। मैंने कुछ इस तरह की बाते सुनी थी।
दिल्ली में बीते शु्क्रवार को प्रणब मुखर्जी की इस किताब का विमोचन हुआ, जिसमें सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह समेत कई बड़े नेता मौजूद थे. इस कार्यक्रम में केन्द्र में 2004 से 2014 तक लगातार दो बार यूपीए (यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस) गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर चुके पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने दावा किया कि प्रधानमंत्री बनने के मामले में उनके पास तो कोई विकल्प ही नहीं बचा था और पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी इस बात को अच्छी तरह जानते थे.
उन्होंने यह बात पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की पुस्तक ‘द कोलिशन इयर्स’ के उद्घाटन के अवसर पर कही जो इस दौर में केन्द्र की अलग-अलग गठबंधन सरकारों का लेखा-जोखा है.
डा. सिंह ने पूर्व राष्ट्रपति को प्रतिष्ठित और जिंदादिल सांसद के अलावा कांग्रेस जन के रूप में याद करते हुए कहा कि पार्टी में हर कोई उनसे जटिल और मुश्किल मुद्दों के हल की उम्मीद करते थे.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री रहने के दौरान सरकार को जब भी किसी जटिल मुद्दे का हल निकालना होता था तो मंत्री समूह का गठन किया जाता था और अधिकतर जीओएम की अध्यक्षता उस समय मुखर्जी ही कर रहे होते थे.
इस अवसर पर मुखर्जी ने कहा कि उन्होंने इस पुस्तक में राजनीतिक कार्यकर्ता की नजर से 1996-2004 तक की लंबी राजनीतिक यात्रा को समझने और समीक्षा का प्रयास किया. उन्होंने कहा कि उन्हें संसद में लंबा अनुभव रहा है और उन्हें संसद में देश के कई बड़े नेताओं को सुनने का मौका मिला.
राजनीतिक कार्यकर्ता के नजर से लिखी किताब: मुखर्जी
उन्होंने कहा कि यह पुस्तक किसी इतिहासकार की नज़र से नहीं बल्कि एक राजनीतिक कार्यकर्ता के नजर से लिखी गयी है. उन्होंने कहा कि 1996 से लेकर 2004 के बीच पुस्तक में देवगौड़ा सरकार, गुजराल सरकार, वाजपेयी सरकार और मनमोहन सरकार के कामकाज का ब्यौरा दिया गया है.
मनमोहन की यह टिप्पणी इसलिए महत्व रखती है क्योंकि मुखर्जी ने अपनी पुस्तक में कहा, ‘‘यह बड़ी उम्मीद थी कि सोनिया गांधी के मना करने के बाद प्रधानमंत्री के लिए मैं ही अगली पंसद रहूंगा. यह उम्मीद संभवत: इस तथ्य पर आधारित थी कि सरकार में मेरे पास व्यापक अनुभव है.’’
मुखर्जी ने यह भी कहा कि जब उन्होंने मनमोहन सरकार में शामिल होने से इंकार कर दिया, तब सोनिया ने उनके इस में शामिल होने पर बल दिया क्योंकि यह उनके ‘कामकाज के लिए महत्वपूर्ण होगा. साथ ही सिंह को भी सहयोग मिलेगा.’ उन्होंने बुक लॉन्च के दौरान कहा कि कांग्रेस अपने आप में एक गठबंधन है क्योंकि यह सभी विचारों को एक मंच पर लाती है.