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दर्द हल्के-हल्के, बोल हल्के-हल्के

झांसीः कहते है कि चोट लगने के बाद अपने कितना ही मरहम क्यों  न लगाएं, दर्द और अंदर की टीस किसी न किसी बहाने जुबां पर आ ही जाती है। ऐसा ही कुछ सपा में  देखने को मिला। मेयर के लिये दावेदारी कर रहे हरभजन साहू के स्थान पर राहुल सक्सेना प्रत्याशी बना दिये गये। इस बात से हर भजन नाराज तो नहीं है, लेकिन अंदर का दर्द उनके शायराना अंदाज में  कुछ इस तरह छलक रहा है।

सरल और मिलनसार स्वभाव के हरभजन साहू पिछले कई सालो  से विधानसभा चुनाव के लिये सपा से दावेदारी कर रहे हैं। अब इसके किस्मत का फेर कहे या हरभजन के साथ खेली जाने वाली राजनीति का दांव। उन्हंे प्रेमरोग फिल्म के गाने की तरह हर बार यह कहना पड़ता है। मैं देर करता नहीं, देर हो जाती है। मेरे जागने से पहले, हाय रे मेरी किस्मत सो जाती है..!

बीते दिनो  नगर में  हर भजन साहू का नाम जोरो  पर उठा। हर किसी को उम्मीद थी कि हर बार सपा से हरभजन साहू ही मैदानमें  आएंगे। वो भी पूरी तैयारियों  में  थे। बस, इंतजार था, टिकट के फाइनल होने का।

टिकट से पहले हरभजन साहू सोशल मीडिया पर जबरदस्त तरीके से सक्रिय हुये। भाजपा को घेरने वाली पोस्ट के साथ अखिलेश की नीतियों  का झंडा बुलंद किया। जब पता चला कि टिकट तो राहुल सक्सेना ले उड़े, तो हर भजन का दिल झटका खा गया। हरभजन पूरी शिददत के साथ पार्टी को जिताने में  जुट गये हैं, लेकिन सोशल मीडिया पर पोस्ट से लगता है कि घाव गंभीर है और कहीं न कहीं दर्द छलक ही आता है। वो कहते है। दर्द हल्के-हल्के, तेरे बोल हल्के-हल्के।

हरभजन सपा को जिताने में  अपनी भूमिका तय कर चुके हैं। प्रत्याशी के स्वागत से लेकर बैठकों  में  अपनी उपस्थिति दर्शा रहे हैं। उम्मीद कर रहे कि प्रत्याशी जीत जाए, तो विधायक की तैयारियां शुरू करे?

 

 

 

 

 

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