झांसी 6 जनवरीः झांसी मे आज मानवता की सरेआम मौत हो गयी। किसी का दिल नहीं पसीजा। एक असहाय, मजबूर और बीमार को इलाज नहीं दे सकने वाले डाक्टर, पुलिस ने ऐसा कायराना कारनामा किया कि सभी शर्मसार हो गये।
कहते है कि मरते इंसान को बचाने के लिये डाक्टर पूरी ताकत लगा देते हैं। शायद इसीलिये डाक्टर को भगवान का दूसरा रूप कहा जाता है, लेकिन झांसी मे डाक्टर भी पत्थर दिल हो गये हैं। उन्हे केवल पैसे वालों और बड़े लोगो की बीमारी ही नजर आती है।
दरअसल, बीते रोज इलाइट चैराहा पर टीबी की बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को व्यापारी विनोद सब्बरवाल ने जिला अस्पताल मे भर्ती कराया था। यहां उन्होने अपना नाम व नंबर भी दर्ज कराया था।
दो दिन बाद जब वो उक्त बीमार व्यक्ति की खबर लेने पहुंचे, तो उन्हंे घोर आश्चर्य हुआ। उन्हे बताया गया कि बीमार व्यक्ति पलंग पर नहीं है। जब उन्होने मामले की पड़ताल की, तो जो सच सामने आया, उसे सुनकर वो दंग रह गये। विनोद को पता चला कि बीमार व्यक्ति को अस्पताल स्टाफ ने एक टैक्सी मे बैठाकर रवाना कर दिया। टैक्सी वाले को पचास रूपये दिये गये और कहा गया इस व्यक्ति को स्टेशन या बस स्टेंड छोड़ आये।
विनोद का कहना है कि ऐसे डाक्टर, कर्मचारी और पुलिस पर क्या भरोसा किया जाए, जो मानवता को मारने पर आमादा है। यहां सवाल यह है कि क्या जिला प्रशासन इस मामले को संज्ञान मे लेकर कोई कार्रवाई करेगा या फिर प्रदेश की योगी सरकार अपने विभाग के बेरहम कर्मचारियो की लापरवाही यूं ही देखती रहेगी?