_*बाइक से बारह सौ किमी का सफर तय कर पहुंचे थे औरंगाबाद, एक ही किशोर ने चलाई बाइक*_
••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••*पीडी रिछारिया, हरिश्चंद्र तिवारी, राहुल राठौर*
*कोंच (जालौन)।* मायानगरी मुंबई घूमने की लालसा में बिना घरवालों को बताए दो नाबालिग दोस्तों ने बाइक से रास्ता नापना शुरू किया लेकिन पुलिस की सक्रियता के चलते बीच रास्ते में ही धर लिए गए। घर के चिरागों के अचानक लापता हो जाने पर परिजनों ने पुलिस को सूचना देकर गुमशुदगी दर्ज कराई थी। पुलिस ने ‘ऑपरेशन मुस्कान’ के तहत दोनों किशोरों को औरंगाबाद के एक होटल से सकुशल बरामद किया है।
पूरे मामले को लेकर मिली जानकारी में बताया गया कि तहसील क्षेत्र के ग्राम धंजा निवासी ध्रुव पटेल पुत्र नीरज और निकेत पटेल पुत्र मोहन यहां नया पटेल नगर ब्लॉक कॉलोनी कोंच में रहते हैं। दोनों की उम्र करीब 15 वर्ष है और दोनों आपस में अच्छे दोस्त हैं। इस वर्ष दोनों ने कक्षा 9 उत्तीर्ण की है। 3 जून को दोनों दोस्तों ने बाइक से मुंबई घूमने का प्लान किया। शारीरिक रूप से दिव्यांग निकेत ने अपने घर से छह हजार रुपये और ध्रुव ने दस हजार रुपये तथा मां के कुछ आभूषण उठाए और निकल लिए। किशोरों के अचानक लापता हो जाने पर परिजनों ने कोतवाली में उसी दिन देर शाम गुमशुदगी दर्ज करा दी थी। भागे दोनों किशोर औरंगाबाद शहर पहुंचे। पकड़े जाने के डर से परिजनों के नंबर अपने अपने मोबाइल फोन में ब्लैक लिस्ट में डाल दिए और बाइक की नंबर प्लेट भी तोड़ कर फेंक दी। उक्त दोनों की परेशानी उस समय बढ़ गई जब होटेल में रुकने के लिए दोनों के पास कोई आईडी प्रूफ नहीं था। थक हार कर दोनों में से एक ने वहां से अपनी बहन को कॉल कर पूरी बात बताई। जिसके बाद परिजनों ने समझाबुझा कर यहां से व्हाट्सएप पर दोनों के आधार कार्ड भेजे। दोनों वहां एक होटल में रुके। सुराग हाथ लगते ही कोतवाली पुलिस की एक टीम कोतवाल अजयब्रह्म तिवारी के निर्देशन और मंडी चौकी प्रभारी नीतीश कुमार की अगुवाई में बगैर समय गंवाए औरंगाबाद पहुंच गई और शनिवार को दोनों किशोरों को सकुशल अपने साथ ले आई। यहां पर सीओ उमेश कुमार पांडे ने दोनों किशोरों से आवश्यक पूछताछ कर उन्हें उनके परिजनों के सुपुर्द कर दिया। फिलहाल किशोरों की सकुशल बरामदगी पर परिजनों के चेहरों पर खुशी लौट आई। यहां यह भी दिलचस्प है कि निकेत के दिव्यांग होने के चलते 1200 किमी तक ध्रुव ने अकेले ही बाइक चलाई और रास्ते में भी वे टोका-टाकी से बचे रहे।