झांसीः सपा से मेयर पद के दावेदार राहुल सक्सेना को अपने यंगिस्तान पर पूरा भरोसा है। उन्हंे प्रतिपाल सिंह यादव दाउ जैसे युवा सपोर्ट कर रहे हैं। इससे एक सवाल उठ रहा है कि क्या सपा मंे अब नये दौर की शुरूआत हो चुकी है?
कल तक बंगले के इईगिर्द घूमने वाली सपा की बुन्देली राजनीति मंे अखिलेश यादव के सीधे हस्तक्षेप के बाद बड़े दिग्गज बैकफुट पर आ गये हैं। मेयर चुनाव के लिये जिन दावेदारांे ने चन्द्रपाल सिंहयादव और दीप नारायण सिंह यादव के यहां चक्कर लगाये, वो ताकते ही हर गये।
सपा मंे नया कल्चर यह शुरू हुआ है कि अब दो बड़े नेताआंे का हस्तक्षेप काफी कम हो गया है। शायद यह उनकी कम होती विश्वसनीयता का संकेत है।
यह अटल सत्य है कि सपा मंे पिछले कई दशकांे से चन्द्रपाल सिंह यादव और दीप नारायण सिंह यादव की राजनीति पूरे उफान पर रही। दोनो नेताआंे ने जो चाहा, वो हुआ। अब बदले परिवेश मंे इन नेताआंे को दूसरी लाइन के लोग सीधी टक्कर दे रहे हैं। इसका उदाहरण एमएलसी चुनाव से देखा जा सकता है।
इसके अलावा राहुल सक्सेना अपनी दम पर लखनउ मंे टिकट फाइनल करा लाये। पार्टी स्तर से साफ संकेत है कि जो लखनउ का आदेश ना माने उसकी शिकायत की जाए। राहुल सक्सेना के सामने चुनाव प्रचार मंे दो प्रकार के संकट नजर आ रहे हैं। झांसी मंे उनकी लोकप्रियता का ग्राफ काफी कमजोर है। दूसरा यह कि उन्हांेने सार्वजनिक जीवन मंे सपा के प्लैटफार्म से कम ही परफारमंेस किये हैं।
हां, उनके लिये सबसे बड़ी राहत की बात यह है कि पार्टी की युवा टीम उनके साथ है। टीम प्रतिपाल जैसे युवा अपने साथियांे के साथ शुरू से ही राहुल के प्रचार मंे जुट गये हैं। प्रतिपाल सिंह और राहुल सक्सेना का साथ पुराना माना जाता है। जेडीए मंे भी दोनांे साथ मंे सदस्य बने।
सपा प्रत्याशी का कार्यालय पूर्वएमएलसी श्याम सुन्दर सिंह यादव के निवास पर खोला जाएगा। इसके साथ ही पार्टी के नेताआंे को संदेश दिया गया हैकि एकजुटता के साथ प्रत्याशी के साथ रहे।
अब यहां सवाल यही है कि क्या जो दावेदार थे, वो पूरे मन से जुट पाएंगे? दूसरा यह कि दिग्गज कितना सहयोग करते हैं?
बरहाल, अपनी युवा टीम और सक्रियता से जीत को हासिल करने मंे जुटे राहुल सक्सेना के सामने अपनांे से लड़ना भी चुनौती तो होगी ही?